Draft:Dr. Gajanand Mishra

डॉ गजानन मिश्र

निदेशक (सेवानिवृत्त) भाषा एवं पुस्तकालय विभाग राजस्थान सरकार

डॉक्टर गजानन मिश्र का जन्म 14 जून 1946 को जयपुर से 50 किलोमीटर दूर हनूतिया गांव में हुआ । इनके पिताजी का नाम पंडित श्री कन्हैयालाल मिश्र एवं माताजी श्रीमती मन्नी मिश्रा है । इनके पिताजी संस्कृत के शिक्षक थे तथा बड़े भाई पद्मश्री डॉ मंडन मिश्र संस्कृत के राष्ट्रीय स्तर के विद्वान रहे हैं । अपने पिताजी तथा बड़े भाई से इन्हें परिवार मे शैक्षणिक वातावरण मिला और डॉक्टर गजानन मिश्र अपने बड़े भाई से प्रेरित होकर निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते रहे ।

शैक्षणिक अनुभव-

डॉ मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा महाराज संस्कृत कॉलेज जयपुर तथा महावीर जैन दिगंबर हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई । हायर सेकेंडरी परीक्षा अपने गांव में रहते हुए राजकीय हायर सेकेंडरी स्कूल राडावास से उत्तीर्ण की । सन 1968 में प्रथम श्रेणी में एम.ए. राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से की और 1971 मे पीएच.डी की उपाधि मूर्धन्य विद्वान डॉ सोमनाथ गुप्त के निर्देशन में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से ही प्राप्त की । इनके अतिरिक्त डॉक्टर मिश्र ने साहित्य रत्न, साहित्य सुधाकर, साहित्यालंकार एवं आयुर्वेद शास्त्री की उपाधियां ग्रहण की ।

प्रशासनिक अनुभव -

डॉ मिश्र राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी जयपुर में भाषा संपादक के पद पर सन 1971 में कार्यरत रहे तदंतर कॉलेज शिक्षा विभाग राजस्थान के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालय बारा ,नीमकाथाना, अलवर ,चिमनपुरा, दौसा तथा शाहपुरा में रहते हुए लगभग 25 वर्षों तक स्नातक तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं को हिंदी साहित्य का अध्यापन कराया । इसी अवधि में श्री मिश्र राजस्थान विश्वविद्यालय के शोध निर्देशक भी रहे ।

सन 1993 में डॉक्टर मिश्र भाषा विभाग के उपनिदेशक बने और 1 वर्ष पश्चात ही सन 1994 में निदेशक के पद पर पदोन्नत कर दिए गए ।सन 2000 में राजस्थान सरकार ने भाषा विभाग को माध्यमिक शिक्षा बीकानेर से सार्वजनिक पुस्तकालय का कार्य स्थानांतरित करके इस विभाग का नाम परिवर्तित कर भाषा एवं पुस्तकालय विभाग कर दिया गया और डॉक्टर मिश्र इस विभाग के संस्थापक निदेशक नियुक्त हुए । जब श्री मिश्र ने सार्वजनिक पुस्तकालय का कार्य प्रारंभ किया उस समय तक सार्वजनिक पुस्तकालयौ की संख्या लगभग 250 थी जो 1 वर्ष में सतत शिक्षा विभाग के सौजन्य से ग्राम पंचायत स्तर तक पुस्तकालय प्रारंभ करने से यह संख्या लगभग 10000 तक पहुंच गई ।डॉक्टर मिश्र लगभग 10 वर्षों तक निदेशक रहे।

राजकीय सेवा से सेवानिवृत होने के पश्चात डॉक्टर मिश्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के अनुसंधान केंद्र में विशेषाधिकारी के पद पर लगभग तीन वर्षों तक कार्यरत रहे ।

प्रकाशन -

डॉ मिश्र ने अनेक पुस्तकों की रचना की है जिनमें राजस्थान की हिंदी साहित्य को देन,( जिसका प्रकाशन राजस्थान सरकार की राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा किया गया है )। इसके अतिरिक्त जयपुरी व्रत लोक साहित्य, विचारामृत, अष्टापद, गद्य विविधा तथा प्रेरक प्रसंग आदि कृतियां हैं । इनके अतिरिक्त डॉक्टर मिश्रा भाषा परिचय पत्रिका के संपादन के साथ मानक स्वरूप, पदनाम सूची ,हिंदी करण आदेशिका आदि का संपादन भी किया है । इनके अतिरिक्त श्री मिश्र के देश की समस्त उच्च स्तरीय शोध पत्रिकाओं में लगभग 60 शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। श्री मिश्र का परिचय( Reference Asia vol 2) मे भी प्रकाशित हो चुका है।

सदस्य तथा अध्यक्ष-

डॉ मिश्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति चयन समिति ,राजस्थान विश्वविद्यालय की हिंदी पाठ्यक्रम समिति ,राजस्थान विश्वविद्यालय की परीक्षा चयन समिति ,राजस्थानी भाषा उन्नयन एवं विकास समिति तथा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा पुस्तकालय चयन समिति के सदस्य भी रहे हैं।

डॉ मिश्र ने पद्मश्री डॉ मंडन मिश्र स्मृति शोध संस्थान के अध्यक्ष रहते हुए इस संस्था के अनेक कार्यक्रम आयोजित कराए। इन्हीं कार्यक्रमों में गुजरात के राज्यपाल श्री नवल किशोर शर्मा ,गुजरात की राज्यपाल श्रीमती कमला बेनीवाल तथा भारत के उपराष्ट्रपति श्री भैरू सिंह शेखावत के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम आयोजित किए गए।

सम्मान -

राजस्थान के महामहिम राज्यपाल द्वारा राजभाषा हिंदी के श्रेष्ठ कार्यों के उपलक्ष में श्री मिश्र को राजभवन में सम्मानित किया गया । इस अवसर पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री गुलाबचंद कटारिया एवं भाषा राज्य मंत्री श्रीमती उजला अरोड़ा भी उपस्थित थी । श्रेष्ठ लेखन के लिए राजस्थान के उपमुख्यमंत्री श्री हरिशंकर भाभडा एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री ललित किशोर चतुर्वेदी द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त पुस्तकालय सेवा में विशेष योगदान के लिए राजस्थान पत्रिका द्वारा राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सम्मानित किया गया । अधीनस्थ पुस्तकालय को राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किए जाने के उपलक्ष में माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा कार्यालय टिप्पणी पर "अनूठा कार्य हुआ है बधाई" देकर सम्मानित किया गया। राजस्थान सरकार के संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत दिवस समारोह 2023 के अवसर पर बिरला सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में शिक्षा मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला द्वारा "संस्कृत साधना सम्मान" प्रशस्ति- पत्र एवं 51000 की राशि भेंट कर सम्मानित किया गया।

References

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