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आचार्य देवराज दास
तुषार पांडे, जिन्हें आचार्य देवराज दास जी महाराज के नाम से से जाना जाता है, एक सम्मानित आध्यात्मिक गुरु और धार्मिक व्यक्ति हैं, जो ज्योतिष, वैदिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक शिक्षाओं में अपनी गहरी जानकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। 26 जून 1993 को पवित्र भूमि अयोध्या में जन्मे, महाराज की आध्यात्मिक यात्रा बहुत ही छोटी उम्र से शुरू हो गई थी, और उनका जीवन उनकी अडिग भक्ति का प्रमाण है। उनकी प्रभावशाली उपस्थिति भारत और विदेशों में फैली हुई है, जो अनगिनत लोगों को उनके आध्यात्मिक पथ पर मार्गदर्शन प्रदान करते है। महाराज ने श्री हनुमत सेवा ट्रस्ट की स्थापना की है, जो विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कल्याण की गतिविधियों पर कार्यरत है।
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प्रारंभिक जीवन
आचार्य देवराज दास का जन्म अयोध्या के पवित्र शहर में हुआ, जो अपनी समृद्ध आध्यात्मिक विरासत और प्रभु श्री राम की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। बहुत छोटी उम्र से ही, महाराज ने अपने उम्र के अन्य बच्चों के विपरीत एक असाधारण आध्यात्मिक स्वभाव प्रदर्शित किया जो उनके अंदर उपस्थित तेज को प्रदर्शित करता था। उनके बोलने का तरीका, उनका व्यवहार, उनकी सोच और उनकी विचारधारा ने सभी को यह एहसास दिलाया कि यह कोई सामान्य बालक नहीं हैं।
महाराज के प्रारंभिक जीवन में उनके सेवा भाव और दया भाव में रुचि देखी गई। उनके परिवार और परिचित अक्सर उन्हें ऐसे कार्यों में संलग्न पाते थे जो उनकी उम्र से परे लगते थे। चाहे वह उनकी गहरी ध्यान की प्रक्रियाएँ हों, दूसरों के प्रति उनकी दया की क्रियाएँ, या उनकी चिंतनशील प्रवृत्ति, महाराज की उपस्थिति एक आध्यात्मिक गहराई से भरी हुई थी जिसने सभी के मन में एक स्थायी छाप छोड़ी।
महाराज का परिवार, जो एक मध्यमवर्गीय और शिक्षित पृष्ठभूमि से आता है, उनके व्यवहार और कर्मों को उलझन भरा मानते थे वा उनके भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। उनके माता-पिता, जो व्यावहारिक आकांक्षाओं में गहराई से जुड़े हुए थे, ने अपने बेटे के लिए एक पारंपरिक मार्ग की कल्पना की थी। उनकी माँ ने सोचा कि वह डॉक्टर या सेना में अधिकारी बनेंगे, जो उन्हें एक स्थिर और सम्मानित करियर प्रदान करेगा। दूसरी ओर, उनके पिता चाहते थे कि महाराज भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हों, एक भूमिका जो उन्हें देश की सेवा में योगदान देने में सक्षम बनाएगी और परिवार का सम्मान बढ़ाएगी।
इन आकांक्षाओं के मद्देनजर, महाराज की तीव्र आध्यात्मिक प्रथाएँ और धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के प्रति उनकी गहरी निष्ठा उनके परिवार के लिए चिंता का कारण बनीं। उन्हें आशंका थी कि महाराज की गहरी आध्यात्मिक प्रतिबद्धता उन्हें सांसारिक जिम्मेदारियों और पारिवारिक कर्तव्यों से दूर कर सकती है। लगातार यह चिंता बनी रहती थी कि कहीं महाराज सन्यास का मार्ग ना चुन ले जो उन्हें समाज और परिवार से दूर कर देगा।
परिवार की चिंता के बावजूद, महाराज ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में दृढ़ता बनाए रखी। उन्होंने कभी भी अपनी आध्यात्मिक पहचान को पारंपरिक अपेक्षाओं द्वारा ढकने नहीं दिया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी आध्यात्मिक खोज को अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ समन्वयित करने की अद्वितीय क्षमता प्रदर्शित की। उनके कार्य उनकी आध्यात्मिक पथ और पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का प्रमाण थे, यह दिखाते हुए कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा ने उन्हें भौतिक दुनिया में अपेक्षित भूमिकाओं और कर्तव्यों को पूरा करने से नहीं रोका।
शिक्षा
महाराज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने रेड रोज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन किया। उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त की, हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा विज्ञान धारातल में प्रथम श्रेणी से पूरी की। उनकी शैक्षिक यात्रा जारी रही और उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कला में स्नातक (BA) की डिग्री प्राप्त की, जिसमे भी वह प्रथम श्रेणी में सम्मानित हुए। इसके बाद, महाराज ने अयोध्या विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (LLB) की डिग्री प्राप्त की, जो उनकी बौद्धिक क्षमता को और प्रदर्शित करता है।
आध्यात्मिक प्रवृत्ति और महानता के प्रारंभिक संकेत
बहुत छोटी उम्र से ही, महाराज ने ऐसी गुणों का प्रदर्शन किया जो उन्हें उनके साथियों से अलग करते थे। उनका व्यवहार, विचार और क्रियाएँ एक गहरी आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता को दर्शाती थीं जो उनकी उम्र से परे थी। परिवार के सदस्य अक्सर उनकी आचरण से चकित हो जाते थे, क्योंकि उन्होंने हर चीज में एक दिव्य स्वभाव प्रदर्शित किया। महाराज की आध्यात्मिक प्रवृत्ति इतनी प्रबल थी कि कभी-कभी उनके परिवार को चिंता होती थी कि वह सांसारिक जीवन को पूरी तरह से छोड़ सकते हैं और संन्यास के मार्ग का अनुसरण कर सकते हैं।
इन चिंताओं के बावजूद, महाराज ने अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को परिवार की अपेक्षाओं के साथ संतुलित किया। उन्होंने कभी अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं को पारिवारिक जिम्मेदारियों पर हावी नहीं होने दिया, और उन्होंने अपनी शिक्षा को मेहनत से जारी रखा साथ ही अपने आंतरिक आध्यात्मिक जिज्ञासा को पोषित किया। जैसे-जैसे महाराज बड़े हुए, उनका आध्यात्मिक अनुशासन और गहरा हुआ। महाराज की दैनिक दिनचर्या में प्रार्थना और ध्यान शामिल था, जो अंततः प्रत्येक दिन चार से पांच घंटे तक बढ़ गया। इस गहरे आध्यात्मिक अभ्यास ने उनके परिवार के बीच चिंता पैदा की, उन्हें डर था कि महाराज पूरी तरह से अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों में लीन हो सकते हैं।
विवाह और पारिवारिक जीवन
महाराज को सांसारिक जीवन में और मजबूत रूप से स्थापित करने के लिए, उनके माता-पिता ने उनकी शादी 22 साल की उम्र में तय की। उन्हे यह विश्वास था कि उनका यह कदम महाराज जी को आध्यात्मिक प्रवृत्तियों और सांसारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। महाराज ने अपनी नए जिम्मेदारियों से पूर्ण भूमिका को पति और पिता के रूप में अपनाया बिना अपनी आध्यात्मिक यात्रा को छोड़े। उनकी पत्नी, एक गृहिणी, उनकी इस आध्यात्मिक यात्रा में उनकी स्थिर साथी बनीं, जो उनके विभिन्न धार्मिक और सामाजिक प्रयासों में उनका समर्थन करती हैं।
महाराज जी के दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। अपनी गहरी आध्यात्मिक प्रथाओं के बावजूद, वह हमेशा परिवार को समर्पित परिवारिक व्यक्ति रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके पारिवारिक जिम्मेदारियाँ भी उतनी ही भक्ति से पूरी की जाएँ जितना कि उनकी आध्यात्मिक जीवन में।
जगद गुरु पद्मविभूषित स्वामी श्री रामभद्राचार्यजी महाराज का आशीर्वाद और मार्गदर्शन
आचार्य देवराज दास जी महाराज ने पद्म विभूषित जगत गुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज से गुरु दीक्षा प्राप्त किया है। स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज आध्यात्मिक दुनिया में एक उच्च उपाधि प्राप्त दैविक एवं ईश्वरीय शक्ति प्राप्त धर्म गुरु है। पूज्य महाराज श्री पर अपने गुरुदेव भगवान की विशेष कृपा है और महाराज श्री समय समय पर अपने गुरुदेव भगवान से मिलकर आशीर्वाद वा मार्गदर्शन प्राप्त करते रहते है।
शिक्षा और दर्शन
महाराज जी की सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं, वेदों, पुराणों, शास्त्रों के साथ साथ वैदिक कर्म काण्ड की पद्धति, ज्योतिष शास्त्र ,नव ग्रहों का विश्लेषण, वास्तु शास्त्र, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विश्लेषण, लक्षण विज्ञान का भी विशेष ज्ञान है। जिसके माध्यम से देश विदेश के अपने समस्त शिष्यों की समस्याओं का निवारण करते है। बचपन से ही प्रभु श्री हनुमान जी की महाराज जी पर विशेष कृपा बनी हुई है और प्रभु हनुमान जी महाराज जी के आराध्य देवता है। महाराज जी विश्वास रखते हैं कि आस्था, अनुशासन और निःस्वार्थ सेवा ही आध्यात्मिक विकास के जनक हैं।
आध्यात्मिक व दिव्य शक्तियों के प्रारंभिक संकेत और सेवा भाव
बहुत छोटी उम्र से ही, आचार्य देवराज दास जी महाराज ने lगहरी दया की भावना और दूसरों की सहायता करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति प्रदर्शित की। उनका हृदय हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित था, चाहे वह अध्ययन में संघर्ष कर रहे सहपाठी का हों या समुदाय के किसी भी वर्ग का कोई भी व्यक्ति हो जिन्हें सहायता की आवश्यकता है। महाराज जी की मदद करने की प्रवृत्ति कक्षा के बाहर भी फैली हुई थी। वह अक्सर अपनी कक्षाओं के साथियों की सहायता के लिए अतिरिक्त प्रयास करते थे, उन्हें उनके अध्ययन में मार्गदर्शन प्रदान करते थे और जहाँ भी संभव हो मदद करते थे। उनका यह कुशल स्वभाव केवल उनके दोस्तों तक ही सीमित नहीं था; वह वृद्ध, दिव्यांगो और किसी भी अन्य व्यक्ति की सहायता करने के लिए सदैव समर्पित रहे हैं। उनके शिक्षक उनकी आत्म-समर्पण के स्वभाव से काफी प्रभावित थे, वे अक्सर महाराज जी की प्रशंसा करते थे। सेवा भाव और आध्यात्मिक शक्तियों के ये प्रारंभिक संकेत यह प्रमाण थे कि महाराज जी अंततः धर्म के मार्ग पर ही चलेंगे। उनकी स्वाभाविक दया और दूसरों की सेवा की इच्छा उनके आध्यात्मिक यात्रा की नींव बन गई।
प्रभाव और प्रमुख शिष्य
महाराज जी के कई अनुयायियों में प्रसिद्ध व्यक्तित्व शामिल हैं जैसे:
- चिराग पासवान (राजनीतिज्ञ)
- प्रदीप पांडे (चिंटू) (अभिनेता)
- सनी सचदेवा (अभिनेता)
- रांझा विक्रम सिंह (अभिनेता)
- यामिनी सिंह (अभिनेत्री)
- नील पांडे (फिल्म निर्देशक)
- हृदय नारायण दीक्षित (पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधान सभा)
- संयोगिता यादव (फिल्म अभिनेत्री)
- विशाल सिंह (अभिनेता)
- डीओपी आरएम स्वामी
- रब्बानी खान (गायक)
- पांछी जलोनवी (गीतकार)
- और कई अन्य...
ये व्यक्ति, और कई अन्य, आचार्य श्री देवराज दास जी महाराज की आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता और मार्गदर्शन से प्रभावित हुए हैं।
श्री हनुमत सेवा ट्रस्ट
समाज की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में, महाराज जी ने श्री हनुमत सेवा ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट विभिन्न परोपकारी गतिविधियों के लिए समर्पित है, जिसमें शामिल हैं:
- वंचित लड़कियों के लिए विवाह आयोजित करना।
- जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करना।
- एक कैंसर अस्पताल
- वृद्ध महिलाओं के लिए एक आश्रय गृह का निर्माण करना।
- बच्चों को गुरुकुल प्रणाली के माध्यम से मुफ्त शिक्षा प्रदान करना।
- एक गौशाला (गाय आश्रय) और घायल गायों के लिए एक अस्पताल बनाना।
यह ट्रस्ट भारत सरकार द्वारा 12A और 80G प्रावधानों के तहत मान्यता प्राप्त है, जिससे दानकर्ताओं को उनके योगदान के लिए कर लाभ प्राप्त होता है। महाराज जी की योजना एक आश्रम स्थापित करने की है जो वृंदावन में होगा, जहाँ से वह अपने सेवा के कार्यों का विस्तार करेंगे और अपने आध्यात्मिक मिशन को जारी रखेंगे।
प्रभाव और विरासत
आचार्य देवराज दास, या महाराज जी, ने भारत की आध्यात्मिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। उनकी शिक्षाएँ अनगिनत व्यक्तियों को भक्ति, सेवा, और धार्मिकता के जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके मार्गदर्शन के माध्यम से, उनके अनुयायियों ने अपने जीवन में स्पष्टता, शांति और उद्देश्य पाया है।
महाराज का प्रभाव उनके तत्काल अनुयायियों से आगे बढ़कर व्यापक समुदाय तक फैला है उनके परोपकारी प्रयासों के माध्यम से। श्री हनुमत सेवा ट्रस्ट ने कई आश्रित जरूरतमंद लोगों को सेवाएँ और समर्थन प्रदान करके सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, उनके गहरे आध्यात्मिक ज्ञान के साथ मिलकर, सुनिश्चित करती है कि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रहे। लो
महाराज जी का प्रत्येक कदम उनके आध्यात्मिक और सेवा के कार्यों के विस्तार को समर्पित है।