-: गजल :-


.हर वक्त फिदा हर वक्त फिदा हर वक्त फिदा हूं तेरे लिए जीने के लिए कोई आस न थी फिर भी जिंदा हूं तेरे लिए हर वक्त फिदा............ जीने के लिए.............

तेरी काली काली ये जुल्फे चमकीली घटाये लगती हैं तेरी तिरछी सी ये आँखे अमृत की सी प्याली लगती हैं तेरी हिरनी जैसी ये चाल मदमस्त मुझे तो लगती है मैं जानता हूं तू मेरे लिए मैं बना सदा हूं तेरे लिए हर वक्त फिदा.............. जीने के लिए...............

तेरी चाहत में डूबा डूबा ये आशिक तुझपे मरता है

तेरी चाहत में तो ये प्रियवर दिल मेरा धड़कता है तेरे बिछड़ जाने पर ए पगली दिल रो रो के तड़पता है कहने को अब कुछ और न है चाहत में फिदा हूँ तेरे लिए हर वक्त फिदा.............. जीने के लिए...............

 कवि अजय कुमार राजन 'अजेय'
   मढिया थोकमाधौ बघौली हरदोई UP
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