मदन  का जन्म 05 मार्च 1998 में मध्यप्रदेश के राजोद में हुआ था। उनके पिता का नाम कैलाश  है, जोकि एक संस्था में अकाउंटेंट हैं। उनकी माँ का नाम विष्णु  है। उनका एक छोटा भाई है-गोलु। मदन को संगीत का शौक बचपन से ही था। उन्होंने महज चार वर्ष की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। इसके साथ ही वह 17 भाषाओं में पूर्ण रूप से पारंगत हैं। 


करियर:

        मदन ने अपने हिंदी फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 2011 में फिल्म दमादम से की। उसके बाद उन्होंने "ना जाने कबसे", "एक था टाइगर", "फ्रॉम सिडनी विथ लव","आशिकी 2" और बंगाली फिल्म रॉकी के लिए गाने गाये। परन्‍तु मदन को हिंदी सिनेमा में कामयाबी फिल्म "एक था टाइगर" और "आशिकी 2" से मिली।


सामाजिक योगदान:

                      मदन बचपन से समाजिक क्रियाकलाप में सक्रिय हैं। जब वह महज पांच साल के थे, तभी से वह इससे जुड़ी हुई हैं। वह बचपन से ही गरीबों की मदद करते चले आ रहे थे। साल 1999 में जब कारगिल की लड़ाई छिड़ी थी, तब उन्होंने शहीदों के परिवारों के लिए दुकानों और गली के नुक्कड़ों पर गाना गाकर चंदा इकट्ठा किया। मदन अपनी गायकी का सार्वजानिक प्रदर्शन कर चंदा इकट्ठा कर गरीब बच्चों की सहायता करता था।


उसके बाद  अपने भाई गोलु के साथ विदेशों में स्टेज शो करने लगे, उन स्टेज शो से वह जो भी पैसा कमाते थे, उन्हे गरीब बच्चों को दान करते थे। उन्होने अपनी प्रदर्शनी का नाम "दिल से दिल तक" रखा है। मदन अपनी प्रदर्शनी मे औसतन 40 गाने गाते थे जिनमे हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गाने, भजन तथा गज़लें शामिल होती हैं।


सन 2010 मे मदन ने गुजरात के भुकंप पीडितों की सहायता के लिए 10 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा किया। मदन को बच्चों के प्रति सहानुभूति सिर्फ भारत तक सीमित नही है। जुलाई 2013 में मदन ने पाकिस्तान की एक बच्ची, जो ह्रदय रोग से पीडि़त थी और भारत मे इलाज के लिए आई थी, उसके लिए वित्तीय सहायता की पेशकश की। दिसम्बर 2015 तक मदन ने अपने संगठन मदन सेकवाङिया  हार्ट फाऊंडेशन के लिए कुल 1.2 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा की थी जिससे 234 बच्चों का ऑपरेशन किया गया। पैसों के कमी कि वजह से किसी बच्चे का ऑपरेशन न रुके यह सुनिश्चित करने के लिए इंदौर की भंडारी हॉस्पिटल ने मदन सेकवाङिया  हार्ट फाउंडेशन को दस लाख रुपये तक के ओवरड्राफ्ट की अनुमति दी है।


जून 2016 तक मदन ने कुल 1.71 करोड़ रुपये कि राशि इकट्ठा की थी जिससे 338 बच्चों की जान बचायी जा सकी। इस सामाजिक संगठन के पैसों से मदन या उनके परिवारवालों को कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होता। लाभार्थी बच्चों से मदन  प्रतीक के रुप मे एक कागज  स्‍वीकार करता था