ज़मीन जल चुकी है ,आसमान बाकी है ऐ दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है वो जो खेतों की मेड़ पर उदास बैठे हैं उन्हीं की आँखों में अब तक ईमान बाकी है सरकार अब तो रहम करो सूखी फसलों पर मकान गिरवी है ,और लगान बाकी है....!