नाचा धरोहर का दुर्रे बंजारी दुर्रे बंजारी छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि सीमावर्ती अन्य राज्यों में भी लोकनाट्य नाचा के नाम से जाना जाता है, यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी पुरा गांव लोक कलाकारी से जुड़े हुए है. आसपास के अन्य कला संस्था से भी जुड़े हुए है. इस गांव में दो-दो नाचा के संस्था है, एक राधा कृष्णा नाचा दल और दूसरा जय माँ गंगा मैया नाचा दल जो छत्तीसगढ़ के साथ ही साथ अन्य प्रांतो में भी अपनी प्रस्तुति देते आ रहे है. दुर्रे बंजारी का यह नाचा दल छत्तीसगढ़ के विभिन्न बड़े मंचो में अपनी प्रस्तुति दे चुके है एवं सम्मान से भी नवाजे जा चुके है. दुर्रे बंजारी के इस माटी में एक और नाम निकलकर आता है वो है दुर्गेश सिन्हा दुलरवा जो साहित्य के क्षेत्र से जुड़े हुए है. और निरंतर अपने कविता व आलेख से लोगो के बिच पत्र पत्रिका में अपने विचार रखते है. दुलरवा जी का नाम नाचा के लिए विशेष रुप से और भी जाना जाता है क्योंकि दुलरवा यूटुब सोशलमीडिया के माध्यम से नाचा के कलाकारों का इंटरव्यू लेके आते है. एवं नाचा में परी व नजरिया के पात्र का अभिनय करने वाले कलाकार का इंटरव्यू लेने वाले पुरे छत्तीसगढ में प्रथम व्यक्ति है. जो मया के बोली भाखा यूटुब चैनल पर हमर भाखा हमर कलाकार के नाम से मौजूद है. कुलमिलाकर दुर्रे बंजारी कलाकारों की बस्ती के रूप में पुरे छत्तीसगढ़ में जाना जाता है. आगे का लेख कुछ दिनों बाद...........