दिपक शर्मा बेमेतरा की जीवनी

दिपक शर्मा बेमेतरा

नाम - दिपक शर्मा

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ग्राम - नवागांव कला (छिरहा)

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जिला - बेमेतरा (छ.ग.)

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कार्य - एक कर्त्तव्यनिष्ठ निस्वार्थ समाज सेवी

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जन्म- २५/०१/१९९७  नवागांव कला जिला बेमेतरा मे हुआ प्रात:। ३:०० बजे

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पिता - पं. श्री विघ्नेश्वर शर्मा

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माता - स्व. श्री मती राजेश्वरी देवी शर्मा

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दादा जी - स्व. पं. श्री भरत प्रसाद शर्मा जी

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धर्म- सनातन धर्म

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इनका जन्म छत्तीसगढ़ के जिला बेमेतरा ग्राम नवागांव कला में हुआ। इनका जन्म विषेश तिथि नक्षत्र और वसंत पंचमी के दिन होने के कारण तेज दिमाग और चतुर स्वभाव और लोगों के जिंदगी में प्रकाश मान होने की आशंका में नाम दिपक शर्मा रखा गया। जो कि एक महान शाकद्वीपी ब्राह्मण सामाज में जन्म लिए उस समाज की चर्चा और उनके दादा परदादा की विद्वता आज भी चर्चित है। धीरे धीरे यह बालक और इसका उम्र बढ़ता गया जब इनको शाला में दाखिल किया गया तो सुरुवात तो अच्छा रहा फिर पढ़ाई में आना कानी चालु कर दिया शिक्षक भी बहुत परेशान थे धीरे धीरे  बालक ने कक्षा ८ पार कर ९वी में प्रवेष किए वहां भी कुछ दिन रहने के बाद शाला जाना बंद कर दिए फिर कुछ सालों बाद प्राईवेट शिक्षा १०वी ११वी १२वी पास कर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए। उसके बाद कुछ   काम नहीं था तो अपने पिता जी के साथ उपरोहिती (पुजा पाठ) के कार्य में संलग्न होगया कुछ २०१६ में वह भी छोड़ दिया। बचपन से ही बालक के अंदर समाज सेवा का भाव जागृत था सहायता भी करता था।


मीत्र की सहायता


एक बार की बात है उसके शाला कक्षा ५वी का लड़का था उसके परिवार में सहायता की आवश्यकता आन पड़ी उसकी बहन के दिल में छेद था उसको जानकारी मिलते ही वह जाकर मिला और सहायता में लग गया अपना इकट्ठा किया हुआ पैसा १०.००० रु पुरा इलाज के लिए दे दिया लेकिन इतने से कुछ होने वाला नहीं था डाक्टर इलाज के लिए ३.००००० लाख रुपय बोला था यह अपने मित्र को सांत्वना देते हुए बोला मैं व्यवस्था करुंगा तुम बहन का ख्याल रखो करके अपना १०.००० रु देकर आगया दो दिन बात आपरेशन होना था बालक दिपक का कुछ अता पता नहीं था फिर वह साम को आपरेशन के एक दिन पहले ३.००००० रुपए लेकर आया उसके मित्र ने पूछा इतना पैसा कहां से लाए वह नहीं बताया बोल दिया चिंता मत करो बहन का इलाज कराओ आज उसकी बहन एकदम ठिक है। वह पैसा बालक दिपक बेमेतरा में एक रियल इस्टेट डिलर था एक व्यक्ती को अपना बंजर भूमि निकालना था उसका मांग था की जो व्यक्ति ज़मीन को २५.०००० रुपए में निकलवाएगा उसको ५.००००० रु दुंगा तो बालक दिपक ने दिमाग़ लगाते हुए एक रियल इस्टेट डिलर से सम्पर्क किया और उसको बोला की इस बंजर जमीन को २५.०००० रुपए में निकालना है आपको १.००००० रुपए दुंगा डिल का बाकी आप सामने वाले से कितना भी निकाल लो तो रियल एस्टेट डिलर हां बोल दिया कुछ दिन बाद डिलर के पास एसे ही बंजर जमीन लेने वाला ग्राहक आया उसको फैक्ट्रि डालना था वह ग्राहक ३०.०००० रुपए देने को तैयार था रियल एस्टेट डिलर ने ३०.०००० रुपए में डिल कर २५.०००० रुपए दे दिए जमीन का मालिक देख कर चकित होगया और खुश होकर ५ के जगह ६.००००० रुपए दिया जिसमें १लाख डिलर को ३लाख मित्र के बहन के लिए और २लाख गरिबों की सेवा के लिए संस्था के खाते में जमा करा दिया वह संस्था अनाथ, वृद्ध, जरुरतमंदों के लिए सेवा दे रहे थे बालक दिपक ने अपना एक छोटा सा योगदान समझ कर खाते में जमा करा दिया। और आगे चलकर और समाज सेवा के लिए दृढ़संकल्पित होगया और सहायता करने लगा।


भाई का तबियत देख लिया समाजसेवा का निर्णय


२०१६ में इनके भाई की तबियत खराब हो गया उनको इलाज के लिए बेमेतरा जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया १-२ घंटे चेकअप के बाद रामकृष्ण केयर हास्पिटल रेफर कर दिया गया। वहां ५दिन इलाज चला और डाक्टर ने बोला B-ve रक्त की आवश्यकता है रक्त संख्या ३ग्राम है फिर दौड़ भाग में लग गए फिर बहुत दौड़ भाग के बाद एक लिस्ट मीला रक्तदाताओं का उनमें से संपर्क किया गया और आकर रक्तदान किए। उसवक्त से बालक दिपक अपने आप में मानसिक रूप से दृढ़संकल्पित हो गए की लोगों की सहायता के लिए कुछ करना है वह उनके रहते भर में रक्त की कमी के वजह से ८-१० लोगों की मृत्यु हुई। तो उन्होंने अपने मन में एक रणनीति बनाई की क्या करना है। वह बहुत सी संस्थाओं से जुड़ने की कोशिश किया लेकिन कोई नहीं जोड़ना चाहते थे फिर वह अपने की पेड के जरिए फेसबुक सोशल मीडिया पर अपने काम को अंजाम देना सुरु किया उसमें समुह बनाया और लोगों को जोड़ते गया और जरुरतमंद का नाम नंबर और रक्त समूह पता सब विवरण डालदिया करता था जिससे रक्तदाता उनसे जल्द संपर्क कर सकें रोज रक्त की आवश्यकता पर पोस्ट डरता गया और २०१६ में १०.००० यूनिट रक्त की सहायता उस समुह के द्वारा जरुरतमंदों को सहायता किया गया।


विश्व हिन्दू परिषद् बजरंगदल में जुड़ना


२०१६ दिसंबर में बालक विश्व हिन्दू परिषद बजरंगदल के परिवार का हिस्सा बना उसके कार्य ने लोगों को बहुत प्रोत्साहित किया और सेवा, सुरक्षा, संस्कार के उद्देश्यों पर कर्त्तव्यनिष्ठ रहा और आगे बढ़ते गया। इनमें से एक व्यक्ति जो दिल्ली नोएडा से थे नाम मुकेश कुमार जी कुछ कारण वश वह छत्तीसगढ़ रायपुर आए थे तो उनको मुख्य अतिथि के रूप में ७ दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में आमंत्रित किया गया उन्होंने बालक का कार्य देख बहुत प्रसन्न हुए तेज बुद्धि चतुरता और रणनिती भाव और सनातन धर्म के प्रति इनके कट्टरता और लगन को देख बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बालक का पुरा विवरण जानने की इच्छा जताई तो उनके प्रशिक्षण शिविर में एक बालक नितिन ने उनको पुरा विवरण दिया। फिर मुकेश जी ने बजरंगदल और जितने भी सामाजिक संस्था थे उनको घोषणा करते हुए कहा कि २०१७ में १२ अप्रैल को महासम्मेलन की घोषणा करता हूं जितने भी सामाजसेवी संस्था और संगठन है सभी आमंत्रित हैं। उस महा सम्मेलन में बड़े बड़े पदाधिकारी में इस छोटे से बालक को आमंत्रित किया गया। वह पत्र पढ़कर चौंक उठा और सोंच में पढ़ गया कि जाऊं या नहीं फिर कुछ सोचकर जाने का निश्चित किया।


संस्था में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति


अब बात है महासम्मेलन के दिन यह छोटा सा बालक महासम्मेलन में पहुचा तो वहां खड़े सब बड़े बड़े पदाधिकारी स्वागत करने लगे यह देख वह चकित रह गया सोचने लगा कि मैंने ऐसा करता किया कि इतने बड़े बड़े पदाधिकारी मेरे स्वागत में लगे हैं मैं तो इनके सामने एक तुच्छ सा बालक हुं। फिर महासम्मेलन प्रारंभ हुआ जो कि इस बालक के लिए ही रखा गया था संस्थापक श्री मुकेश कुमार जी थोड़ा सा बात बोलने के बाद बोले कि हमारे बिच आज एक होनहार बच्चा भी है जो आने वाले लोगों का भविष्य है और देश का भी भविष्य है मैं उनको आपसे परिचित कराने के लिए उनको मंच में आने की प्रार्थना करता हूं। जब उन्होंने बालक दिपक का नाम लिया वह चौंक उठा और बड़ी हड़बड़ाहट से वह मंच में सहमा सा जाकर संस्थापक मुकेश कुमार जी के बगल में खड़ा होगया । मुकेश जी ने उससे सवाल पुछा कि तुमको पता है यह महासम्मेलन क्युं हो रहा है? बालक ने बोला और प्रश्न किया कि मुझे नहीं पता और मैं एक छोटा सा बालक हुं मेरी और यहां बैठे लोगों की तुलना मुझसे क्युं? मुकेश कुमार जी बोले बेटा आप अपने आप को नहीं जान पा रहे हैं परंतु मैं जान चुका हूं। आज यह महासम्मेलन तुम्हारे सम्मान में और आपको हमारी संस्था समर्थ भारत फाउंडेशन दिल्ली को छत्तीसगढ़ में आगे लाने के लिए आपको सर्व छत्तीसगढ़ अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है इतना बोलकर मुकेश कुमार जी ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किए। बालक हिचकिचाहट में बोला नहीं यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है मैं सायद अपने कर्तव्यों का पालन कर सकुं मुझसे चुक इस मंच और जितने भी प्रतिष्ठावान व्यक्तियों की उपलब्धता मानकर मुझे अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा उनका अपमान होगा। मुकेश कुमार जी स्तब्ध रह गए और बोले नहीं बेटा मैं आपमें वह तुफ़ान देखा हुं जो आप अपने अंदर नहीं देख पा रहे हैं आप कर सकते हैं आप बहुतों की जिंदगी हैं याद किजिए आपके भाई का बिमार होना और आपके परिवार वालों का दर दर भटकना और बहुत से लोग हैं जो भटक रहे हैं मैं आपमें उनकी सहायता देखा हुं आप चिंता न करें मैं आपके साथ हुं कहीं भी अटकोगे मैं तुम्हारे बड़े भाई जैसा तुम्हारे साथ रहुंगा। बालक प्रसन्नता से वह पद और प्रशस्ति पत्र श्विकार कर संकल्प लिया कि मैं अपना कार्य और लोगों की सहायता अपने परिवार के सदस्य मानकर कर्त्तव्यनिष्ठ होकर निस्वार्थ भाव से करुंगा मेरे और मेरे संस्था के द्वारा कोई शिकायत नहीं होगी। महासम्मेलन समाप्त हुआ और बालक को पुरा काम समझाया गया नियम बताया गया और बोला गया कि आपको अपने दिमाग से सदस्य बनाकर संस्था को संगठित करना है। बालक ने २महिने में १५.००० सदस्य निस्वार्थ जोड़ दिए फिर धीरे धीरे सदस्यता बढ़ते गया लोगों को जिस संस्था में उम्मीद नहीं थी और एक बालक क्या चलाएगा करके मजाक उड़ाया जाने वाला संस्था समर्थ भारत फाउंडेशन आज छत्तीसगढ़ में नंबर वन पर है और सदस्य आज ८५.००० से भी ज्यादा है रक्तदान की बात कहें ५मिनट में कोई भी रक्त की आवश्यकता पुरी की जाती है। और विकलांगों के लिए रोजगार सहायता,शिक्षा सहायक, रहने खाने की सहायता इत्यादि सभी प्रकार कि सहायता जारी है जोर शोर से कोई निराश नहीं होता है। छत्तीसगढ़ में अध्यक्ष होकर दुसरे राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, इत्यादि जगहों में इसी प्रकार की सहायता इतने ही रफ्तार से मतलब सोचने की बात है आज वह बालक २३साल का है उसकी मां का निधन हुए १३साल होगया है और उसका रक्त समूह A- है और बालक ने १३बार रक्तदान कर और नेत्रदान का संकल्प कर जरुरतमंद कि सहायता किए हैं इनको अभी सिर्फ ४साल ही हुआ है कार्य करते हुए इन चार सालों में सायद ही कोई संस्था यह कार्य कर पाए और आगे भी देखने की आशा हैं।और इन चार सालों में इनको बहुत से प्रशंसा पत्रों से सम्मानित किया गया है।