• रुक ज़रा*

रुक ज़रा..., थमजा, यह शाम नहीं, दोपहर हैं, रुक ज़रा थमजा, शाम सुहानि होगि, रात अंधियारा सहि, तेरे बिना कालिमा अपार होगि, रुक ज़रा..., थमजा.... सुबह यकीनन होगि.... बस एक तु नहीं होगा? तेरे बीन वह सुबह अंधियारी होगि. अभिभि देर नहीं हुइ, रुक ज़रा..., थमजा, सपने तेरेभि...,सपने तेरे के भी, तो इतनि जल्दि क्या? रुक ज़रा..., थमजा, बहुत थकी है प्रकृति भी, तु` भी सँभल जा, यह दोपहर हैं, शाम नहीं , बस रुक ज़रा..., थम-ज़रा!! K. K. Bagatharia as "રાહી"