संस्कृत भाषा

संस्कृतम् बोली जाती है भारत, नेपाल कुल बोलने वाले १००४,१३५ (जनगणना के अनुसार।)[1] भाषा परिवार — संस्कृत लेखन प्रणाली देवनागरी (वस्तुत:), अन्य ब्राह्मी–लिपि और कभी कभी रोमन आधिकारिक स्तर आधिकारिक भाषा घोषित भारतीय संविधान में अनुसूचित 22 भाषाओं मे से एक। नियामक कोई आधिकारिक नियमन नहीं भाषा कूट ISO 639-1 sa ISO 639-2 san ISO 639-3 san सूचना: इस पन्ने पर यूनीकोड में अ॰ध॰व॰ (आई पी ए) चिह्न हो सकते हैं। संस्कृत (संस्कृतम्) भारत देश की एक भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। भीम राव अम्बेडकर का मानना था कि संस्कृत पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांध सकने वाली इकलौती भाषा हो सकती है, अतः उन्होंने इसे देश की आधिकारिक भाषा बनाने का सुझाव दिया था।[2][3] [4]

भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है। यह उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा है। आकाशवाणी और दूरदर्शन से संस्कृत में समाचार प्रसारित किए जाते हैं। कतिपय वर्षों से डी. डी. न्यूज (DD News) द्वारा वार्तावली नामक अर्धहोरावधि का संस्कृत-कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा रहा है, जो हिन्दी चलचित्र गीतों के संस्कृतानुवाद, सरल-संस्कृत-शिक्षण, संस्कृत-वार्ता और महापुरुषों की संस्कृत जीवनवृत्तियों, सुभाषित-रत्नों आदि के कारण अनुदिन लोकप्रियता को प्राप्त हो रहा है।


अनुक्रम 1 इतिहास 2 व्याकरण 3 ध्वनि-तन्त्र और लिपि 3.1 स्वर 3.2 व्यंजन 4 संस्कृत भाषा की विशेषताएँ 5 भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व 6 संस्कृत का अन्य भाषाओं पर प्रभाव 7 शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार 8 सन्दर्भ 9 यह भी देखिए 10 बाहरी कड़ियाँ 10.1 संस्कृत संसाधन 10.2 संस्कृत सामग्री 10.3 शब्दकोश 10.3.1 डाउनलोड योग्य शब्दकोश 10.4 संस्कृत विषयक लेख 10.5 संस्कृत साफ्टवेयर एवं उपकरण 10.6 संस्कृत जालस्थल इतिहास मुख्य लेख: संस्कृत भाषा का इतिहास

संस्कृत भाषा का वैश्विक विस्तृति : ३०० ईसापूर्व से लेकर १८०० ई तक की कालावधि में रचित संस्कृत ग्रन्थ एवं संस्कृत अभिलेखों की प्राप्ति के क्षेत्र संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ॠग्वेद है जो विश्व का सर्वप्रथम ग्रन्थ है। संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम और सर्वप्रथम भाषा है, जिसके प्रयोग का मूल मानव जाति की संस्कृति और सभ्यता की प्रगति के साथ जुड़ा है |

व्याकरण मुख्य लेख: संस्कृत व्याकरण मुख्य लेख: संस्कृत का व्याकरण संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है। किन्तु पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।

संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं। अधिकांश शब्द-रूप मूलशब्द के अन्त में प्रत्यय लगाकर बनाये जाते हैं। इस तरह ये कहा जा सकता है कि संस्कृत एक बहिर्मुखी-अन्त-श्लिष्टयोगात्मक भाषा है। संस्कृत के व्याकरण को वागीश शास्त्री ने वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया है।

ध्वनि-तन्त्र और लिपि संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिये ही बनी है, इसलिये इसमें हर एक चिह्न के लिये एक और केवल एक ही ध्वनि है। देवनागरी में १३ स्वर और ३३ व्यंजन हैं। देवनागरी से रोमन लिपि में लिप्यन्तरण के लिये दो पद्धतियाँ अधिक प्रचलित हैं : IAST और ITRANS. शून्य, एक या अधिक व्यंजनों और एक स्वर के मेल से एक अक्षर बनता है।

चित्र:संस्कृत वाक्यांश.png संस्कृत, क्षेत्रीय लिपियों में लिखी जाती रही है। स्वर ये स्वर संस्कृत के लिये दिये गये हैं। हिन्दी में इनके उच्चारण थोड़े भिन्न होते हैं।

वर्णाक्षर “प” के साथ मात्रा IPA उच्चारण "प्" के साथ उच्चारण IAST समतुल्य अंग्रेज़ी समतुल्य हिन्दी में वर्णन अ प / ə / / pə / a लघु या दीर्घ Schwa: जैसे a, above या ago में मध्य प्रसृत स्वर आ पा / α: / / pα: / ā दीर्घ Open back unrounded vowel: जैसे a, father में दीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर इ पि / i / / pi / i लघु close front unrounded vowel: जैसे i, bit में ह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर ई पी / i: / / pi: / ī दीर्घ close front unrounded vowel: जैसे i, machine में दीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर उ पु / u / / pu / u लघु close back rounded vowel: जैसे u, put में ह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर ऊ पू / u: / / pu: / ū दीर्घ close back rounded vowel: जैसे oo, school में दीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर ए पे / e: / / pe: / e दीर्घ close-mid front unrounded vowel: जैसे a in game (संयुक्त स्वर नहीं) में दीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर ऐ पै / ai / / pai / ai दीर्घ diphthong: जैसे ei, height में दीर्घ द्विमात्रिक स्वर ओ पो / ο: / / pο: / o दीर्घ close-mid back rounded vowel: जैसे o, tone (संयुक्त स्वर नहीं) में दीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर औ पौ / au / / pau / au दीर्घ diphthong: जैसे ou, house में दीर्घ द्विमात्रिक स्वर संस्कृत में ऐ दो स्वरों का युग्म होता है और "अ-इ" या "आ-इ" की तरह बोला जाता है। इसी तरह औ "अ-उ" या "आ-उ" की तरह बोला जाता है।

इसके अलावा निम्नलिखित वर्ण भी स्वर माने जाते हैं :

ऋ -- वर्तमान में, स्थानीय भाषाओं के प्रभाव से इसका अशुद्ध उच्चारण किया जाता है। आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह तथा मराठी में "रु" की तरह किया जाता है । संस्कृत में अमेरिकी अंग्रेजी शब्दांश (American English syllabic) / r / की तरह ॠ -- केवल संस्कृत में (दीर्घ ऋ) ऌ -- केवल संस्कृत में (syllabic retroflex l) अं -- आधे न् , म् , ं, ं, ण् के लिये या स्वर का नासिकीकरण करने के लिये अँ -- स्वर का नासिकीकरण करने के लिये (संस्कृत में नहीं उपयुक्त होता) अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिये व्यंजन जब कोई स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है। स्वर के न होने को हलन्त्‌ अथवा विराम से दर्शाया जाता है। जैसे कि क्‌ ख्‌ ग्‌ घ्‌।

स्पर्श अघोष घोष नासिक्य अल्पप्राण महाप्राण अल्पप्राण महाप्राण कण्ठ्य क / kə / k; अंग्रेजी: skip ख / khə / kh; अंग्रेजी: cat ग / gə / g; अंग्रेजी: game घ / gɦə / gh; महाप्राण /g/ ङ / ŋə / n; अंग्रेजी: ring तालव्य च / cə / or / tʃə / ch; अंग्रेजी: chat छ / chə / or /tʃhə/ chh; महाप्राण /c/ ज / ɟə / or / dʒə / j; अंग्रेजी: jam झ / ɟɦə / or / dʒɦə / jh; महाप्राण /ɟ/ ञ / ɲə / n; अंग्रेजी: finch मूर्धन्य ट / ʈə / t; अमेरिकी अंग्रेजी:: hurting ठ / ʈhə / th; महाप्राण /ʈ/ ड / ɖə / d; अमेरिकी अंग्रेजी:: murder ढ / ɖɦə / dh; महाप्राण /ɖ/ ण / ɳə / n; अमेरिकी अंग्रेज़ी:: hunter दन्त्य त / t̪ə / t; स्पैनिश: tomate थ / t̪hə / th; महाप्राण /t̪/ द / d̪ə / d; स्पैनिश: donde ध / d̪ɦə / dh; महाप्राण /d̪/ न / nə / n; अंग्रेज़ी: name ओष्ठ्य प / pə / p; अंग्रेज़ी: spin फ / phə / ph; अंग्रेज़ी: pit ब / bə / b; अंग्रेज़ी: bone भ / bɦə / bh; महाप्राण /b/ म / mə / m; अंग्रेज़ी: mine स्पर्शरहित तालव्य मूर्धन्य दन्त्य/ वर्त्स्य कण्ठोष्ठ्य/ काकल्य अन्तस्थ य / jə / y; अंग्रेज़ी: you र / rə / r; स्कॉटिश अंग्रेज़ी: trip ल / lə / l; अंग्रेजी: love व / ʋə / v; अंग्रेजी: vase ऊष्म/ संघर्षी श / ʃə / sh; अंग्रेज़ी: ship ष / ʂə / shh; मूर्धन्य /ʃ/ स / sə / s; अंग्रेज़ी: same ह / ɦə / or / hə / h; अंग्रेज़ी: behind टिप्पणी इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त व्यंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में इसका प्रयोग किया जाता है। संस्कृत में ष का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोंक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर श जैसी ध्वनि करना। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक्यों में ष का उच्चारण ख की तरह करना मान्य था। संस्कृत भाषा की विशेषताएँ (१) संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।[5][6] (२) इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है। (३) सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है। (४) इसे देवभाषा माना जाता है। (५) संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा भी है, अतः इसका नाम संस्कृत है। केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। संस्कृत > सम् + सुट् + 'कृ करणे' + क्त, ('सम्पर्युपेभ्यः करोतौ भूषणे' इस सूत्र से 'भूषण' अर्थ में 'सुट्' या सकार का आगम/ 'भूते' इस सूत्र से भूतकाल(past) को द्योतित करने के लिए संज्ञा अर्थ में क्त-प्रत्यय /कृ-धातु 'करणे' या 'Doing' अर्थ में) अर्थात् विभूूूूषित, समलंकृत(well-decorated) या संस्कारयुक्त (well-cutured)। संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है। (६) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं। (७) द्विवचन - सभी भाषाओं में एकवचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है। (८) सन्धि - संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि। संस्कृत में जब दो अक्षर निकट आते हैं तो वहाँ सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जा है । (९) इसे कम्प्यूटर और कृत्रिम बुद्धि के लिये सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। (१०) शोध से ऐसा पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।[7] (११) संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे - अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहम् दोनो ही ठीक हैं। (१२) संस्कृत विश्व की सर्वाधिक 'पूर्ण' (perfect) एवं तर्कसम्मत भाषा है।[8] (१३) संस्कृत ही एक मात्र साधन हैं जो क्रमश: अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है। (१४) संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरन्तर होती आ रही है। इसके कई लाख ग्रन्थों के पठन-पाठन और चिन्तन में भारतवर्ष के हजारों पुश्त तक के करोड़ों सर्वोत्तम मस्तिष्क दिन-रात लगे रहे हैं और आज भी लगे हुए हैं। पता नहीं कि संसार के किसी देश में इतने काल तक, इतनी दूरी तक व्याप्त, इतने उत्तम मस्तिष्क में विचरण करने वाली कोई भाषा है या नहीं। शायद नहीं है। दीर्घ कालखण्ड के बाद भी असंख्य प्राकृतिक तथा मानवीय आपदाओं (वैदेशिक आक्रमणों) को झेलते हुए आज भी ३ करोड़ से अधिक संस्कृत पाण्डुलिपियाँ विद्यमान हैं। यह संख्या ग्रीक और लैटिन की पाण्डुलिपियों की सम्मिलित संख्या से भी १०० गुना अधिक है। निःसंदेह ही यह सम्पदा छापाखाने के आविष्कार के पहले किसी भी संस्कृति द्वारा सृजित सबसे बड़ी सांस्कृतिक विरासत है।[9] (१५) संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है एक संस्कार है संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है, वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना है। भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है। इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत से ली गयी है या संस्कृत से प्रभावित है। पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आयेगी जिससे भारतीय एकता बलवती होगी। यदि इच्छा-शक्ति हो तो संस्कृत को हिब्रू की भाँति पुनः प्रचलित भाषा भी बनाया जा सकता है। हिन्दू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत में हैं। हिन्दुओं के सभी पूजा-पाठ और धार्मिक संस्कार की भाषा संस्कृत ही है। हिन्दुओं, बौद्धों और जैनों के नाम भी संस्कृत पर आधारित होते हैं। भारतीय भाषाओं की तकनीकी शब्दावली भी संस्कृत से ही व्युत्पन्न की जाती है। भारतीय संविधान की धारा 343, धारा 348 (2) तथा 351 का सारांश यह है कि देवनागरी लिपि में लिखी और मूलत: संस्कृत से अपनी पारिभाषिक शब्दावली को लेने वाली हिन्दी राजभाषा है। संस्कृत, भारत को एकता के सूत्र में बाँधती है। संस्कृत का साहित्य अत्यन्त प्राचीन, विशाल और विविधतापूर्ण है। इसमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान और साहित्य का खजाना है। इसके अध्ययन से ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। संस्कृत को कम्प्यूटर के लिये (कृत्रिम बुद्धि के लिये) सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। संस्कृत का अन्य भाषाओं पर प्रभाव संस्कृत भाषा के शब्द मूलत रूप से सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में हैं। सभी भारतीय भाषाओं में एकता की रक्षा संस्कृत के माध्यम से ही हो सकती है। मलयालम, कन्नड और तेलुगु आदि दक्षिणात्य भाषाएं संस्कृत से बहुत प्रभावित हैं।

तत्सम-तद्भव-समान-शब्द संस्कृत शब्द हिन्दी मलयालम कन्नड तेलुगु ग्रीक लैटिन अंग्रेजी जर्मन फ़ारसी मातृ माता अम्मा मातेर मदर् मुटेर मादर पितृ/पितर पिता अच्चन् पातेर फ़ाथर् फ़ाटेर फीदर दुहितृ बेटी दाह्तर् दुख्तर भ्रातृ/भ्रातर भाई ब्रदर् ब्रुडेर बिरदर पत्तनम् पत्तन पट्टणम् टाउन वैधुर्यम् विधुर वैडूर्यम् वैडूर्यम् विजोवर् सप्तन् सात सेप्तम् सेव्हेन् ज़ीबेन अष्टौ आठ होक्तो ओक्तो ऐय्‌ट् आख़्ट नवन् नौ हेणेअ नोवेम् नायन् नोएन द्वारम् द्वार दोर् टोर नालिकेरः नारियल नाळिकेरम् कोकोस्नुस्स सम समान same तात=पिता Dad अहम् I am स्मार्त Smart पंडित पंडित/विशेषज्ञ Pundit

संस्कृत का प्राकृत भाषाओं से तथा भारोपीय भाषाओं से सम्बन्ध शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार "संस्कृतम्" शब्द विभिन्न लिपियों में लिखा हुआ। भारत के संविधान में संस्कृत आठवीं अनुसूची में सम्मिलित अन्य भाषाओं के साथ विराजमान है। त्रिभाषा सूत्र के अन्तर्गत संस्कृत भी आती है। हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली संस्कृत से निर्मित है। पृष्ठ से जुड़े बदलाव फ़ाइल अपलोड करें विशेष पृष्ठ स्थायी कड़ी इस पृष्ठ पर जानकारी यह लेख उद्धृत करें छोटा यू॰आर॰एल

اردو 159 और भाषाएँ कड़ी संपादित करें अन्तिम परिवर्तन 08:40, 1 अगस्त 2020। यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है; अन्य शर्ते लागू हो सकती हैं। विस्तार से जानकारी हेतु देखें उपयोग की शर्तें गोपनीयता नीतिविकिपीडिया के बारे मेंअस्वीकरणडेवेलपर्सStatisticsकुकी का वर्णनमोबाइल दृश्यWikimedia FoundationPowered by MediaWiki