पाली (Pali) भारत के राजस्थान राज्य के पाली ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले और इसी नाम की एक तहसील का मुख्यालय भी है। यह जोधपुर के 70 किमी दक्षिणपूर्व में बांडी नदी के उत्तरी किनारे पर बसा हुआ है।
अनुक्रम
edit- 1विवरण
- 2प्रशासन
- 3इन्हें भी देखें
- 4बाहरी कड़ियाँ
- 5सन्दर्भ
विवरण[संपादित करें]
editपाली शहर राष्ट्रीय राजमार्ग १४ पर स्थित है। जोधपुर संभाग के इस जिले की संभाग मुख्यालय से दुरी 75 किमी है। पाली का इतिहास अतिप्राचीन हैं। शायद बहुत कम लोग यह बात जानते हैं, की आज के इस विशाल, खूबसूरत और विकसित पाली शहर के पीछे एक महान सिद्ध पुरुष चेतन पूरी जी का तप हैं। उन्हीं की तपस्या से आई आध्यात्मिक शक्तियों की बदौलत पाली का लाखोटिया तालाब बना। पाली शहर पर्यटन दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। यहाँ पर बांगड़ म्यूजियम, नवलखा जैन मंदिर, लोडिया तालाब जैसे बहुत सारी घूमने की जगह है। कपडा व्यवसाय के लिए प्रसिद्द पाली से तैयार कपडा पुरे देश में जाता है। इतिहासकार विजय नाहर के अनुसार पाली महाराणा प्रताप की जन्मस्थली एवं महाराणा उदयसिंह का ससुराल है।।
भूवैज्ञानिकों और पुरातत्ववेत्ताओं ने पाली और आसपास के क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल में आदिमानव के में बसने का पता लगा लिया है और उनकी यह स्थापना है कि पाली और इसके आसपास का इलाका भी एक समय विशाल पश्चिमी समुद्र से निकला था। प्राचीन ‘अर्बुदा’ प्रांत के एक भाग के रूप में, इस क्षेत्र को कभी ‘बल्ल’-देश के नाम से भी जाना जाता था शायद इसलिए कि वैदिक युग में, महर्षि जाबाली वेदों की व्याख्या और अवगाहन के लिए इसी पाली क्षेत्र में रहे थे । कहते हैं- महाभारत युग में, पांडव भी अज्ञातवास (गोपनीय वनवास) के दौरान कुछ समय यहाँ की एक तहसील बाली के पास छिपे थे ।
लिखा मिलता है सन 120 ईस्वी में, कुषाण युग के दौरान, राजा कनिष्क ने रोहट और जैतारण क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की थी, जो आज पाली के भाग हैं । सातवीं शताब्दी ईस्वी के अंत तक वर्तमान राजस्थान राज्य के अन्य हिस्सों सहित पाली पर भी चालुक्य राजा हर्षवर्धन के साथ का शासन था।10 वीं से 15 वीं शताब्दी की अवधि के दौरान, पाली की सीमाएं मेवाड़, गोडवाड़ और मारवाड़ से मिली हुई थीं। नाडोल क़स्बा चौहान-वंश की राजधानी थी। सभी राजपूत शासकों ने समय समय पर होने वाले विदेशी आक्रमणकारियों का विरोध किया लेकिन व्यक्तिगत रूप से वे एक-दूसरे की भूमि के लिए भी आपस में लड़े। पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद, मोहम्मद गौरी के खिलाफ, इस क्षेत्र में राजपूत सत्ता छिन्न-भिन्न हो गई। पाली का गोडवाड़ क्षेत्र, मेवाड़ के तत्कालीन यशस्वी शासक महाराणा कुंभा के अधीन हो गया; हालाँकि पाली शहर- जिस पर पालीवाल ब्राह्मण शासकों का शासन था, अन्य पड़ोसी राजपूत शासकों के संरक्षण के कारण शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बना रहा। पालीवाल ब्राह्मणों की आबादी अधिक होने से इसे उनका जातिसूचक नाम –पाली मिला !
16 वीं और 17 वीं शताब्दी में पाली के आसपास के क्षेत्रों में कई युद्ध लड़े गये । अगर शेरशाह सूरी को राजपूत शासकों द्वारा जैतारण के पास गिरि की लड़ाई में हराया गया, तो मुगल सम्राट अकबर की सेना का गोडवाड़ क्षेत्र में महाराणा प्रताप के साथ युद्ध हुआ । मुगलों द्वारा लगभग पूरे राजपूताना पर विजय प्राप्त करने के बाद, मारवाड़ के वीर दुर्गादास राठौड़ ने मुगल सम्राट औरंगजेब से मारवाड़ क्षेत्र को छुड़ाने के लिए संगठित प्रयास किए क्यों कि तब तक पाली मारवाड़ राज्य के राठौड़-वंश के अधीन हो गया था । पाली का पुनर्वास महाराजा विजयसिंह द्वारा किया गया और जल्द ही एक बार फिर यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र बन गया।
ब्रिटिश शासन में पाली
आउवा मारवाड़-जंक्शन के दक्षिण में 12 किमी की दूरी पर स्थित एक क़स्बा है । तब आउवा जोधपुर राज्य के सोजत जिले का एक हिस्सा था। 1857 में भारत में ब्रिटिश काल के दौरान, आउवा के ठाकुर के नेतृत्व में पाली के विभिन्न ठाकुरों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र लड़ाई लड़ी थी । यह स्थान आज भले ही महत्वहीन हो लेकिन इसे 1857 की उथल-पुथल के दौरान बहुत प्रसिद्धि मिली जब इसके जागीरदार ठाकुर कुशलसिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। बागवत की शुरुआत 25 अगस्त 1857 को एरनपुरा छावनी के भारतीय सिपाहियों द्वारा की गयी । सेना के ये सैनिक गांव अपनी छावनी छोड़ कर अपने हथियारों के साथ आउवा पहुंचे। स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए ठाकुर खुशाल सिंह ने उनका नेतृत्व किया। आउवा किला ब्रिटिश सेना ने घेरा हुआ था और यह खूनी संघर्ष कई दिनों तक चला था। इस आंदोलन में मारवाड़ राज्य के ठाकुरों में अशोप, गुलर अलनियावास, भीमलिया, रेड़ावास, लाम्बिया और मेवाड़ राज्य के दूसरे ठाकुरों रूपनगर, लासानी, सलूम्बर, आसींद ने भी ठाकुर खुशाल सिंह की सैनिक मदद की थी ।
अजमेर से जनरल हेनरी लारेंज़ के आदेश से, 7 सितंबर 1857 को किलेदार अनदसिंह जोधपुर, ने आउवा किले पर आक्रमण किया । 8 सितंबर 1857 को लेफ्टिनेंट हेचकेट भी अनदसिंह के साथ युद्ध में शामिल हो गए। युद्ध के दौरान अधिकांश अंग्रेज सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए और आउवा की सेना ने 1857 में स्वतंत्रता की अपनी पहली लड़ाई जीती । इस हार के बाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को सबक सिखाने के लिए जनरल लारेन्ज स्वयं ब्यावर से सेना लेकर 18 सितंबर 1857 को आउवा पहुंचा। जनरल लारेंज़ की मदद के लिए, जोधपुर से राजनीतिक-एजेंट कैप्टन मेसन भी अपनी बड़ी सेना के साथ आउवा आ पहुँचा। इस लड़ाई में कैप्टन मेसन मारा गया | उसका सिर काट कर आउवा किले के मुख्य द्वार पर लटका दिया । इस प्रकार अंग्रेजों से दूसरी लड़ाई में भी आउवा के स्वतंत्रता सेनानियों की जीत हुई ।
अन्य[संपादित करें]
editपाली के समीप ओम बन्ना का स्थान है.देश मे बढ़ती महँगाई , बेरोजगारी एवं आदि मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के विरुद्ध पाली में कांग्रेसजनों ने पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ एवं पाली विधानसभा क्षेत्र से कांगेस प्रत्याशी महावीरसिंह राजपुरोहित सुकरलाई के नेतृत्व में धरना देकर जोरदार प्रदर्शन किया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा के निर्देशानुसार आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुए पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ ने कहा कि मोदी सरकार के तानाशाही रवैय्या का खामियाजा देश की जनता भुगत रही है 15 लाख रुपये खातों में डालने,किसानों की आय दुगुनी करने,महंगाई कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने जैसे सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने इसके विपरीत काम किया है आज महंगाई आसमान छू रही है बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे है कृषि सुधार के नाम पर काले कानुन लाकर खेती और किसानी को संकट में डाल दिया है। देश का आम आदमी दुखी है। प्रधानमंत्री मोदी केवल अपने मन की बात कर रहे है जबकि उन्हें जन की बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉंग्रेस का एक एक कार्यकर्ता हर दुःख दर्द में देश की आमजनता के साथ खड़ा है। हमसभी को एकजुटता से केंद्र सरकार के तानाशाही रवैय्ये का हर स्तर पर विरोध करना होगा। पूर्व सांसद जाखड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओ के बारे में सभी को अवगत कराते हुए कार्यकर्ताओ से आह्वान किया कि इसका लाभ आमजन को मिले इसके लिए हमसभी को भागीदारी निभानी चाहिए।
कांग्रेस नेता एवं पाली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महावीरसिंह राजपुरोहित सुकरलाई ने कहा कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों का परिणाम देश की आमजनता को भुगतना पड़ रहा है। पेट्रोल डीजल, रसोई गैस एवं आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि ने जनता को दुःखी कर दिया है। हर वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार के रहते बेरोजगारी दिनबदिन बढ़ रही है, रोजगार के अवसर खत्म हो रहे है। राष्ट्रीय सम्पत्तियो को बेचा जा रहा है सरकारी क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश का युवा अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार के नाम पर केंद्र सरकार ने तीन कानून लाकर खेती और किसानी को संकट में खड़ा कर दिया है इन तीन कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान पिछले कई महीनो से धरने पर बैठे है दर्जनो किसान शहीद होगये है लेकिन दुर्भाग्य है कि इस तानाशाही केंद्र सरकार के रवैय्ये में कोई फर्क नही पड़ रहा है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि देश को इस मुश्किल घड़ी से उबारने के लिए एकजुटता से तानाशाही मोदी सरकार का विरोध करे। कांग्रेस नेता सुकरलाई ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जनकल्याणकारी निर्णयो के बारे में अवगत कराते हुए कहा की प्रदेशवासी सौभाग्यशाली है कि उन्हें जननायक का नेतृत्व मिल रहा है। पेंशन योजना ,निशुल्क दवा एवं जांच योजना,मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना,जननी सुरक्षा योजना सहित किसान ,युवा, विद्यार्थि सहित सभी वर्गो के लिए गहलोत सरकार ने सैकड़ो जनकल्याणकारी योजना लागू की है। हम सभी कांग्रेसजनों का दायित्व है कि इन जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमजन को मिले इसके लिए सकारात्मक भागीदारी निभानी चहिये।
पाली जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अज़ीज़ दर्द ने कहा कि केंद्र सरकार के रवैय्ये से देश का हर वर्ग बहुत दुःखी है, मोदी सरकार केवल अपने पूंजीपति मित्रो के लिए काम कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने त्याग तपस्या ओर बलिदान से इस देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के बाद भी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू से लेकर डॉ मनमोहन सिंह तक के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकारों ने अपने ऐतिहासिक निर्णयों, नीतियों एवम कार्ययोजना से देश को सशक्त एवं मजबूत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। वही मोदी सरकार के गलत नीतियों का खामियाजा देश की आमजनता को भुगतना पड़ रहा है।
इस दौरान मारवाड़ जंक्शन से विधानसभा प्रत्याशी जस्साराम के राठौड, वरिष्ठ नेता मोटू भाई,केंद्रीय बाल श्रम बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष शिशुपालसिंह राजपुरोहित, रोहट प्रधान श्रीमती सुनिता कंवर राजपुरोहित, पूर्व प्रदेश सचिव श्रीमती सुमित्रा जैन, पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश साँखला, वरिष्ठ नेता जीवराज चौहान,सेवादल जिलाध्यक्ष प्रकाश चौधरी, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनीष पालरिया, एन एस यू आई जिलाध्यक्ष किशोर चौधरी, पार्षद मोनु मेघवाल, आनन्द सौलंकी, सुनील बैरवा, पूर्व जिला परिषद सदस्य अमराराम पटेल, सरपंच अमराराम बेनीवाल, दिनेश दवे सहित कांग्रेस नेताओ ने सम्बोधित कर केंद्र की तानाशाही सरकार के रवैय्ये से आमजन को अवगत कराया।
इस अवसर पर एस सी विभाग जिलाध्यक्ष रतन उदेश, अल्पसंख्यक विभाग जिलाध्यक्ष लाल मोहम्मद सिंधी, पार्षद बाबु भाई गौरी, रिखब जैन,सन्तोखसिंह बाजवा, आमीन अली रंगरेज़, मोइनु भाटी, जयसिंह राजपुरोहित, अकरम खिलेरी, तालिब चूडीघर, रमेश चावला, प्रकाश चोहान,शहजाद शेख, मोहसिन खत्री, आसिफ भाटी, रघुनाथसिंह मण्डली, रमेश बंजारा, राजेंद्र मेघवाल, इंसाफ घोसी, भरत राव,निर्मल तेजी,पूर्व पार्षद विनोद मोदी, मोहम्मद आलम, फकीर मोहम्मद सिंधी,साबिर असरफी,ताराचंद टाक, अमराराम दयालपुरा, अशोक गोड, भागीरथसिंह मालपुरिया, ओटाराम सीरवी, भेराराम गुर्जर, पूर्व उपप्रधान मुन्नालाल परिहार, पंचायत समिति सदस्य पूनाराम देवासी, सरपंच दिलदार खान चोहान, प्रकाश मेघवाल, अमराराम कुल्थाना, बाबूसिंह वायद, चंद्रपालसिंह पुनायता, पुष्प सोनी, सिकन्दर मेहर,असगर क़ुरैशी, लक्षमण कछवाहा,सी पी दिवाकर, देवीसिंह दुदिया, कमलकिशोर देवासी, रानी नगर अध्यक्ष इलियास चढ़वा, कृष्णा सांसी, नजीर सिंधी, जगदीश प्रजापत, अशोक वाल्मीकि, विनोद चांवरिया,शमीम खत्री, तरुण रावल, नेमाराम सुथार, अर्जुनसिंह धींगाना, मोहन बिश्नोई, कानाराम सरगरा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह पिलोवनी, अर्जुन सिसोदिया, बाबू भाई चढ़वा, वजाराम गरवलिया, ढलाराम बींजा, भोपलाखान कायमखानी,श्याम बागोरिया,राजूसिंह डिंगाई,उत्तमसिंह ,सोहनसिंह गुरडाई, धनराज आर्य, वीरेन्द्र पुनियासहित सैकड़ों कोंग्रेसजन उपस्तिथ रहे।
*बैलगाडी चलाई, रस्से से ट्रेक्टर खींच, खाली गेस सिलेंडर लेकर किया जोरदार प्रदर्शन*
गुरुवार को पाली जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने कांग्रेस नेता महावीरसिंह राजपुरोहित सुकरलाई के संयोजन में आयोजित धरना प्रदर्शन में कांग्रेसजनों ने ज़ोरदार एवं अनूठा विरोध प्रदर्शन किया। कृषि सुधार के नाम पर लाये गए काले कानूनों के खिलाफ किसानो के समर्थन में पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ ने बैलगाडी चलाई, वही पेट्रोल एवं डीजल के बढ़ते दामो के विरोध में ट्रेक्टर को रस्सियों से खींचा वंही रसोई गैस सिलेंडर के बढ़ते दामो के विरोध में हाथ ठेले पर गैस सिलेंडर एवं चूल्हे को उल्टा रखकर केंद्र सरकार के खिलाफ में जोरदार प्रदर्शन किया। धरना स्थल से अहिंसा सर्किल होते हुए कलेक्ट्रेट तक विरोध रैली निकाली। बाद में कलेक्ट्रेट के सामने सभी ने केंद्र सरकार एवं मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।