(हमारी चाय)
नमस्कार मैं मोहम्मद ज़ीशान आज एक बार फ़िर हाज़िर हूँ अपने कुछ नए और नए और अपने कुछ ख़ूबसूरत हिस्सों को के साथ आज के किस्से और ख़ूब सूरत हिस्से हम सबकी ज़िन्दगी से कहीं ना कहीं जुड़े हुए हैं ख़ासकर उनके लिए जो लोग उसको पसंद करते हैं जिसके बारे मैं आज बात करने जा रहा हूँ ह,, हाँ मैं समझता हूँ कि आप बहुत उत्साहित हैं यह जानने के लिए आख़िर ऐसा है जो हमारी ज़िन्दगी से जुड़ा तो चलिए ज़्यादा वक़्त बर्बाद ना करते हुए आज के ख़ूबसूरत हिस्सों और क़िस्सों की बात करते हैं और आप लोग बने रहें मेरे साथ अंत तक.......
चाय के बारे में जितना कहूँ तो कम है,,
चाय के बारे में जितना कहूँ तो कम है,,
चाय के बिना तो लगते बिल्कुल अधूरे हम हैं!!
चाय क्या है?
चाय क्यों है?
चाय कहाँ से आई?
चाय कब आई ?
चाय कैसे आई?
चाय जी हाँ अब आप समझ ही चुके हैं कि आज के हमारे किस्से और ख़ूबसूरत हिस्से क्या हैं चाय के बारे में कुछ भी बोलने से पहले आप लोगों ये बताना चाहूँगा कि मैं क्या सोचता हूँ चाय के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं..........
टूटकर जब बागानों से जब वो घर तक आती है,,
डूबकर तब पानी में वो अपना रंग दिखाती है,,
जब चाय में दूध मिलता है तो उसे देख हमारा चेहरा खिलता है
घुलकर फिर पानी में ख़ुशबू से अपनी वो घर को महकाती है,,
कूटकर जब उसमें अदरक डलती है उसके आगे फिर,,
हमारी ना चलती है,,क्युकि अपनी ख़ुशबू से हमको बहकाती है,,
ऐसा लगता है कि वो हमको आवाज़ लगाती है,
बाद उसके जब चाय में जब चीनी डाली जाती है,,
तब वो चाय में मिठास आ जाती है,,
कुछ देर बाद तब जाकर चाय बन पाती है,,
निकलकर फिर चाय को कप में तब,
चाय को हम अपने ढंग में हम पीते हैं,,
ज़िन्दगी को कुछ अलग ही रंग में जीते हैं!!
आगे मैं आप लोगों ये बताने जा रहा हूँ कि कहाँ से और कैसे आई दुनिया में मतलब कि चाय का आविष्कार कब और कैसे हुआ था?
एक बार कि बात है एक राजा अक्सर अपने महल से बाहर घूमनें जाया करते थे और घूम कर आने के बाद वे गर्म पानी पिया करते थे हमेशा कि तरह वे एक दिन बरामदे में खड़े हो कर गर्म पानी पी ही रहे थे कि पास के एक पेड़ से टूट कर कुछ पत्तियाँ उनके गर्म पानी में आ गिरीं और देखते ही देखते उस गर्म पानी का रंग बदल गया उसके बाद उसमें से एक ख़ुशबू आने लगी जो कि राजा के मन और दिल को छू गयी वे उसमें इस तरह मग्न हो गये कि उनसे रहा नहीं गया सभी ने उनको समझाया भी कि राजा साहब इस पानी को आप अब ना पीना ये पत्तियाँ ज़हरीली भी हो सकतीं हैं जो कि आपके स्वस्थ्य को हानि भी पहुँचा सकतीं है लेकिन राजा ने सभी की बातों को नज़र-अंदाज़ करते हुए वे उस पानी को पी गये उसके बाद उन्होंने सभी को बताया कि वे बिलकुल अलग ही तरह से महसूस कर रहे हैं जैसे उनकी सारी थकान दूर हो गयी हो मेरी अब यहाँ आप लोग समझ गए होंगें कि किस तरह चाय दुनिया में आई या यूँ भी कह सकते हैं अतः कहा जा सकता है कि कुछ इस तरह चाय का आविष्कार हुआ!!
जब राजा साहब पी रहे थे पानी तो उनके पानी में कुछ पास में ही लगे पेड़ की पत्तित्यां आ गिरतीं हैं तब राजा साहब के मन में ख़याल आया जो कि मैं आप लोगों को राजा साहब के मन की बात को मैंने अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है जो ली आप नीची पढ़ेंगें........
पी रहा था मैं तो सिर्फ पानी तुम पत्तियाँ मेरी पानी में आ गिरिं,,
लगा मुझे ऐसा कि तुम मेरी ज़िन्दगानी में आ गिरिं,,
पानी से फिर ख़ुशबू आने लगी,,
और फिर ऐसा लगा कि ज़िन्दगी मुस्कराने लगी,,
ख़ुशबू तुम्हारी दिल को छू कर गुज़र सी गयी,,
मानों ऐसा लगा कि वो ख़ुशबू तुम्हारी जिस्म में उतर सी गयी......
तुम्हें पी कर थकन मेरी जैसे हवा हो गयीं,,
तुम तो मेरे थकन कि दावा हो गयीं.....
आब-ए-ज़म ज़म (कावा खानें का पानी) समझ पी गया,,
कुछ इस तरह से मैं ज़िन्दगी को जी गया,,
पी कर तुम्हें मेरी ज़िन्दगी का रंग बदल गया,,
उसके बाद त मेरी ज़िन्दगी जीने का ढंग बदल गया!!
उस दिन क्या ख़ूब मेरे हाथों कमाल हो गया,,
कुछ इस तरह से तुम्हारा आविष्कार बेमिसाल हो गया!!
आगे मैं आपको ये बताऊंगा कि चाय क्या है चाय और क्यों?
चाय उस समय में केवल एक दवाई के रूप में प्रयोग की जाने लगी जब भी कोई थका हारा खुद को महसूस किया करता था तब वो चाय का इस्तेमाल करने लगा उसके कुछ समय बाद लोग चाय को एक भोग के रूप में करने लगे अर्थात् कहा जा सकता है कि चाय पहले एक दवाई के रूप में इस्तेमाल होती थी बाद में इसका इस्तेमाल रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में किया जाने लगा!!
यहाँ पर भी मुझे कुछ कविता की पंक्तियाँ याद आ रही हैं जो कि इस हैं....
“कुछ ही वक़्त में चाय सबकी ख़ास बन गयी,,
लोगों के लिए चाय ज़िन्दगी जीने का एहसास बन गयी......
“चाय को लोग शौक से पीने लगे,,
ज़िन्दगी को लोग मौज से जीने लगे”
“चाय ना मिली जिस किसी को तो उसके लिए ये मरने की सज़ा बन गयी,,
मिली जिसको भी चाय तो उसके लिए तो ये जीने की मज़ा बन गयी”
आईने अब जानते है कि लोग क्या सोचते हैं चाय को लेकर चलिए आइये जानते:-
जब चाय को लेकर लोगों से उनकी राय जानीं तो पता चला कि वे लोग चाय को बहुत ही ज़्यादा पसंद करते हैं ऑफिस हो या घर हर चाय पर चर्चा आम हो गई है, जब भी कोई मेहमान आता है तो हमारा सवाल भी यही होता है कि चाय पियेंगे क्या? इस चाय पियेंगे क्या? वाले सवाल को सुनते ही सब कुछ भूल वे चाय पीने के लिए तैयार हो जाते हैं।। इसके अलावा जब काम को लेकर परेशान हों कि या यूं कहा जाए कि काम का प्रेशर ज्यादा हो तब भी लोग सब कुछ भूल चाय को ज़्यादा ही महत्व देते हैं।।
लोगों से बात करते समय उन्होंने कुछ शेर और शायरियों का ज़िक्र किया था जो कि मुझे बेहद पसंद आईं उम्मीद करता हूं कि यह आप लोगों को भी पसंद आएंगी, जिनको आप नीचे पढेंगे...........
“चाय तो है मोहब्बत है मेरी चाय ही मेरी जान है,,
चाय के बिना तो ऐसा लगता है,,जैसे,
हमारी सूनी दुनियां और लगता अधूरा जहान है!!
“चाय तो हमारे लिए ज़रूरी बन गई,,
मिली जब चाय हमें चाय तो ऐसा लगा
कि हमारी अधूरी ज़िंदगी पूरी बन गई”
“करनी हों जो मुलाक़ातें तो हमारे छोटे से मकान में आ जाना,,
जो करनी हों बातें तो अस्र (शाम की नमाज़) की ज़बान (भाषा) में आ जाना,,
ये आज की दुनियां तुम्हें क्या बताएं,,पीनी हो गर हो,,
चाय तो सहर के दरमियान में आ जाना”
मुझे लोगों से बात करते हुए कुछ लोग ऐसे भी मिले जिनको चाय बिलकुल भी नहीं पसंद थी कहने लगे कि........
“क्यों पिएं हम चाय हमें ये भाती नहीं है,,
क्यों पिएं हम चाय हमें ये भाती नहीं है,,
जाओ नहीं पीते हम चाय क्युकि ये हमें पसंद आती नहीं है”
“जो लोग कहते हैं कि चाय तो हमारे लिए एक ज़िन्दगी का हिस्सा है,,
हम तो कहते हैं कि चाय तो हमारे लिए फालतू क़िस्सा है!!”
“ना पीना चाय तुम भी ये क़हर लगती है
हमें तो बस ज़हर लगती है”
चलिए अब वक़्त आ गया है आप लोगों से दूर जाने का वैसे मेरा मन नहीं यहाँ से जाने का क्योंकि आपसे अभी बहुत सी चाय पर बात करनी थी और आप लोगों से चाय पर देर तक मुलाक़ात करनी थी......
“चलिए अब मैं चलता इस बार
कुछ वक़्त बाद एक बार मिलता हूँ”
“जाते-जाते एक शायरी सुनाता हूँ कि.....
माना कि हम आपसे विदा हो रहें,,
माना कि हम आपसे विदा हो रहें,,
सुन हमारी बातें चाय ना पीने वाले भी चाय पर फ़िदा हों रहे हैं”
धन्यवाद