बजाड गोत्र जो कि मेघ समाज का ही एक गोत्र है इस गोत्र की आबादी राजस्थान के चुरू बाड़मेर कल्यानपुर जोधपुर में बहुसंख्यक है पेशे से ये लोग खेती करते है पुस्तेनी काम में खेती के साथ -२ ऊनी कपड़े की बुनाई के हथकरघा कारीगरी कला में निपुर्ण होते है बजाड ग्रुप का एक धड़ा गांव - लाखोणियों मेघवालों की ढाणी निम्बलकोट में निवास करता है जो कि लाखाराम बजाड के वंशज है जिनके अठारह बेटे थे उनमें से आठ भाईयों की औलाद व वंश परम्परा चल रही है व दस का काई आधिकारिक रिकार्ड नही मिलता है यह जगह राजस्थान के बाड़मेर जिले की सिणधरी तहसिल में ग्राम पंचायत निम्बलकोट से दक्षिण की तरफ तीन किलोमीटर पर स्थित है यहां लोखोनियो मेघवालो की ढाणी के नाम एक प्राथमिक स्कुल व एक सार्वजनिक सभाभवन बना हुआ है ठिक उसके पास मेघो के आराध्य देव सायर सुत बाबा रामदेव जेपाल का व गौंसाई जी महाराज का मन्दिर जो कि निर्माणाधीन है गांव के बुध्दिजिवियों की किवन्दीति है कि लाखाराम बजाड एक यौध्देय पुरूष थे जो कि उस समय के तानाशाही व राजशाही के दंश झेलते हुऐ भी कभी हार नही माने व अपने हक अधिकारो के लिये हमेशा जागृति मंच ,जिसे जागरण भी कहा जाता है के द्वारा मेघ समाज मे हिम्मत का दम्भ भरने का काम करते थे समय बितने के साथ -२ जब रियासते खत्म होकर जमीनी हक मिलने लगे तो इस गांव का सबसे ज्यादा खेती करने वाला अकेला किसान था कहते है दस -२ हल एक साथ जोते जाते थे । निम्न स्रोतो से मिलि जानकारी के अनुसार सियाग गोत्र के जाट समुदाय ने लाखाराम को निम्बलकोट में अस्थाई निवास के लिये बाध्य किया क्योकि उनकी व लाखाराम बजाड की गहरी मित्रता थी । आज बजाड़ परिवार का विस्तारवाद हो चुका है जिले के अलग-२ स्थानो पर अपनी जमीन खरीद कर बजाड़ो ने अपना परचम लहराया है जिससे वो आर्थिक व सामाजिक व राजनितिक स्तर पर मजबूत हुऐ है। बजाड परिवार निम्बलकोट में आज लगभग 60% ने सरकारी सेवा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो कि केन्द्रीय सेवा व राज्य सेवा दोनो में अपनी अहम भुमिका डॉक्टर ,शिक्षक ,ग्रामसेवक ,नर्सिग,जलदायविभाग, परिवहव विभाग रक्षा विभाग ,सुरक्षा विभाग आदि में अपनी सेवा दे रहे है मै NR MEGH BAJAD TAPRA. बजाड परिवार के उज्जवल भविष्य कि कामना करता हुं