श्री गुरु जसनाथ जी महराज (1482-1506) , जसनाथी सम्प्रदाय के संस्थापक थे। जोधपुर, बीकानेर मंडलों में जसनाथ मतानुयायियों की बहुलता है। जसनाथ सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं। इस सम्प्रदाय में रहने के लिए छत्तीस नियम पालने आवश्यक हैं। चौबीस वर्ष की आयु में जसनाथ समाधिस्थ हुए थे। बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है। जसनाथ जी महाराज ने निर्गुण भगति पर बल दियाा था । वह मूर्तिपूजा के विरोधी थे।


इतिहासकारो की ऐसी मान्यता है कि जसनाथजी को कतरियासर गांव रूस्तमजी के कहने पर सिकन्दर लोदी ने भेंट किया।

द्वारा मायड़ भाषा में बताए गए 36 नियम निम्न प्रकार है 1. जो कोई जात हुए जसनाथी 2. उत्तम करणी राखो आछी 3. राह चलो, धर्म अपना रखो 4. भूख मरो पण जीव ना भखो 5. शील स्नान सांवरी सूरत 6. जोत पाठ परमेश्वर मूरत 7. होम जाप अग्नीश्वर पूजा 8. अन्य देव मत मानो दूजा 9. ऐंठे मुख पर फूंक ना दीजो 10. निकम्मी बात काल मत कीजो 11. मुख से राम नाम गुण लीजो 12. शिव शंकर को ध्यान धरीजो 13. कन्या दाम कदै नहीं लीजो 14. ब्याज बसेवो दूर करीजो 15. गुरु की आज्ञा विश्वंत बांटो 16. काया लगे नहीं अग्नि कांटो 17. हुक्को, तमाखू पीजे नाहीं 18. लसन अर भांग दूर हटाई 19. साटियो सौदा वर्जित ताई 20. बैल बढ़ावन पावे नाहीं 21. मृगां बन में रखत कराई 22. घेटा बकरा थाट सवाई 23. दया धर्म सदा ही मन भाई 24. घर आयां सत्कार सदा ही 25. भूरी जटा सिर पर रखीजे 26. गुरु मंत्र हृदय में धरीजे 27. देही भोम समाधि लीजे 28. दूध नीर नित्य छान रखीजे 29. निंद्या, कूड़, कपट नहीं कीजे 30. चोरी जारी पर हर ना दीजे 31. राजश्वला नारी दूर करीजे 32. हाथ उसी का जल नहीं लीजे 33. काला पानी पीजे नाहीं 34. नाम उसी का लीजे नाहीं 35. दस दिन सूतक पालो भाई 36. कुल की काट करीजे नाहीं