मुख्य कविता बाबुल नमस्ते

    ना जाने क्यों उन ख्यालों फिर खोने लगी। उन यादों मे फिर घुमने लगी।

फिर उन गलियों याद करने लगी। फिर क्यों अब मै इतना रोने लगी। अपने बाबुल के पन्नों को क्यों खोलनी लगी। धीरे-धीरे उनका एहसास करने लगी। ना जाने क्यों उन ख्यालों फिर खोने लगी ।उन बाजारों मे क्यों उन्हें ढूंढने लगी। क्यों इतना प्यार करने लगी।उन आवाजो को सुनने क्यों तरसने लगी। ना जाने क्यों उन ख्यालों फिर क्यों खोने लगी। फिर क्यों मिलने के लिए तड़पने लगी। उनके मिलने के सपने देखने लगी। ना जाने क्यों उन ख्यालों फिर खोने लगी । धन्यवाद नाम _पलविन्दर कौर hindismilekavita.blogspot.com