जन्म-1 ददसंबर 1966 (नाह गांव अतरौली तहसील उत्तर प्रदेश, भारत) मत्ृयु-29 नवंबर 2010 (उम्र 43) भभलाई छत्तीसगढ़ भारत धमम-दहदं ूब्राह्मण (गौड़) माता पिता-श्री राधेश्याम दीक्षित, भमथिलेश दीक्षित भाई-अनुज प्रदीि दीक्षित बहन-लता दीक्षित पत्नौ-डॉ उमा दीक्षित(ब्राह्मण गौड़) गुरु-श्री धममिाल जी घर-सेवाग्राम वधाम अंततम संस्कार-ितंजभल योगिीठ हररद्वार

राजीव दीक्षित (1 ददसंबर 1966-29 नवंबर 2010) राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवंबर की रात्रि 2:30 मिनट पर अलीगढ़ जिले के गांव “नाह गांव में

हुआ था॥ यदि हम पंचांग के हिसाब से जन्मदिन की तिथि निकालेंगे तो यह । दिसंबर माना जाएगा. ।प्रारंभिक शिक्षा इनकी गांव मैं रहकर हुई। कुछ वर्ष बाद इनके परिवार ने गांव छोड़ दिया था। आगे की शिक्षा फिरोजाबाद में हुई।इसके बाद की शिक्षा इलहाबाद में हुई। बी टेक करने के बाद ही राजीव दीक्षित जी कानपुर चले गए तथा 7५७७ की शिक्षा प्राप्त की। इसी दौरान उनको आरत के राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ कार्य करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।(यद्यपि उस समय ए पी जे अब्दुल कलाम जी राष्ट्रपति नहीं थे, वे एक वैज्ञानिक थे) राजीव दीक्षित जी ब्हुमुखी प्रतिभा के धनी थ,उनकी इसी योग्यता ने उनको ८5२ में स्थान दिलवाया। किंतु जर्मन को खबर लग गई जर्मनी

राष्ट्र ने राजीव जी की प्रतिआा व खोज को

महत्व दिया। और जर्मनी आकर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रस्तावित किया। राजीव दीक्षित जी को राष्ट्र से बेहद प्रेम था। अतः उन्होंने अपनी तकनीक को जर्मनी को देने से इंकार कर दिया तथा स्वदेशी से स्वावलंबी आरत” इस भावना को उद्धत रखा। राजीव जी अपने विद्यार्थी जीवन में और धर्मपाल जी के संपर्क मैं आए व उनकी प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए की श्री धर्मपाल जी को अपना गुरु के स्वतंत्रता सैनानियों का व उनके बलिदानों का गहरा प्रभाव पड़ा। वे मन ही मन भारत की तत्कालीन राजनैतिक व्यवस्थाओं से अति असंतुष्ट रहने लगे। राजीव जो की अध्ययन में इतनी रुचि थी कि जेब खर्च का 80% आाग वे अध्ययन सामग्री पर खर्च कर देते थे।


राजीव जी अपना आदर्श गांधी जी को मानते थे किंतु भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिलभी उनको उतने ही प्रिय थे। सुआाषचंद्र बोस. औ उनके परम आदर्श रहे।

राजीव दीक्षित जी अपने जीवन मैं आजादी को लेकर चिंतित रहते थे। क्योंकि वह मानते थे कि 4947 में भारत आजाद ही नहीं हुआ था बल्कि गोरे अंग्रेजों ने आरत की राजनैतिक व सामाजिक सत्ता उन्हीं लोगों को हस्तांतरित की थ" जिन्होंने अंग्रेजी कानूनों मैं कोई बदलाव न करने की शर्त मा नी थी। राजीव जी आरत को वास्तविक आजादी दिलाना चाहते थे। इसी कारण वो *आजादी बचाओ आंदोलन” के साथ जुड़ गए और घूम घूम कर अपने व्याख्यानों से लोगों के दिलों में बसने लगे। लोग उन पर आंख बंद करके भरोसा कर सकते थे। किंतु आजादी बचाओ आंदोलन संस्था को छोड़ने पर वे मजबूर हो गए। क्योंकि कुछ स्वार्थ परायण लोगों को राजीव एकआंख नहीं भा रहे ये राजीव दीक्षित प -र आरोप लगाए गए जो सत्य न थे।

पूछ मे राजीव दीक्षित जी का एक बार रामदेव से परिचय हुआ काफी

समय तक दोनों में बातचीत ओ होती रही। 2009 में रामदेव ने एक ट्रस्ट का गठन किया 'आरत स्वा्रिमान" उसमे राजीव दीक्षित जी को व्याख्यान देने के लिए आस्था चैनल का मंच मिला।

रामदेव आयुर्वेद के उत्पाद बनाकर देश-विदेश मैं विख्यात होते गए। रामदेव की ख्याति का आंशिक ल्लाभ राजीव दीक्षित जी को ओी मिल्रा। "पतंजलि योगपीठ हरिद्वार" मैं भी राजीव जी को काफी असंतोष रहने लगा और वहां के पदाधिकारी राजीव जी से जलने लगे। रामदेव बाल कृष्ण, जयदीप: आर्य, सुमन, राकेश मित्तल आदि राजीव जी चिढ़ते थे। रामदेव के मंत्र पर राजीव जी की ओर जनता उन््मुख होते देख रामदेव घबराने लगा था और उसको यह बात समझ आने लगी थी की यदि राजीव दीक्षित की ख्याति यूं ही बढ़ती गई तो रामदेव का सिंहासन हिल जाएगा। इन्हीं कारणों से राजीव दीक्षित जी की हत्या का षड॒यंत्र पतंजलि योगपीठ में रचा गया और जब राजीव जी छत्तीसगढ़ के प्रवास पर पतंजलि के निर्देशानुसार भारत स्वाभिमान का प्रचार करते हुए व्याख्यान देने गए तो 29 नवंबर 200 को आजादी बचाओ आंदोलन के एक पुकार्यकर्ता अनूप बंसल को हत्या की सुपारी दी ग ई

इसमें दुर्ग भिलाई आर्य समाज मंदिर का एक कुख्यात लुटेरा दयासागर भी शामिल किया गया। 29 नवंबर शाम के 3:00 बजे तक राजीव जी के मोबाइल चालू थे किंतु 3:5 बजे के बाद मोबाइल ऑफ:

कर दिए गए जो फिर कभी ऑन नहीं हुए। राजीव जी ने रात के :00 से 2:00 के बीच शरीर फोड़ दिया। इस इ्टि से उलकी मूल्य की लारीख 20 नव ही मानी जानी चाहिए।

राजीव जी के जीवन से जुडी एक और विशेष बात है जिसको उल्लेख करना अति आवश्यक है। 2009 मैं राजीव दीक्षित जी दिल्ली निवासी एक युदती के संपर्क में आए। वह युवती काफ़ी समय से

पतंजलि योगपीठ के सेवा कार्य कर रही थी दिल्ली में लोगों को निःशुल्क चिकित्सकीय परामर्श देना व योग कक्षा चलाना। साथ भारत स्वाप्मिमान के लिए प्राणपण से लगी थी युवती ब्राहमण परिवार से थी तथा देश के लिए जीवन देने का मन ही मन संकल्प कर चुकी थी। राजीव ज से मैंट हुई तो राजीव जी बहुत उलझन मैं पड़ गए कि क्या करें कैसे करें की युवती से फिर मैंट हो। वह युवती राजीव जी के आस्था पर व्याख्यान सुनती थी और राजीव जी को अपने देश के लिए एक ईश्वरीय दूत के रूप मैं अवतरित देखती थी। फिर राजीव दीक्षित का परिचय उस युवती से हुआ दोबारा दोनों मैं आपसी सहमति हुई व विचारों का आदान प्रदान हुआ। दोनों एक दूसरे के अनुरूप चलने को राजी हुए. और विवाह सूत्र में बंध गए। राजीव जी ने विवाह की जानकारी गोपनीय रखी। ऐसा क्यों किया. यह तो राजीव दीक्षित ही जानते थे शायद आरत स्वाभिमान का आंतरिक दबाव ज्यादा था। उस युवती का नाम उमा शर्मा बताया गया।




राजीव जी की मृत्यु के बाद उमा शर्मा, जोकि उमा दीक्षित बन चुकी थी, ने न्याय के लिए पहल की। और जंतर मंतर पर अनेक कार्यक्रम किए जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके। एक विशेष बात उल्लेखित करना आवश्यक है इस दौरान राजीव दीक्षित जी के माता पिता, आई बहन या अन्य किसी रिश्तेदार ने न न्याय की कभी कोई मांग नहीं की।

इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ये रहस्य है।

राजीव दीक्षित जी के रक्त संबंधी कभी आगे नहीं आए। ज्याय की मांग अमूमन माता पिता, भाई ब्हन आदि करते हैं किंतु राजीव दीक्षित केस में संबंधीयो में केवल राजीव दीक्षित जी की पत्नी ही दिखाई देती रही है।

राजीव दीक्षित जी का जीवन परिचय संक्षेप में लिखना बेहद कठिन है। किंतु यहां हमने प्रयास किया है कि मूल बिंदुओं को उल्लेखित किया जा सके।