चाँरो बेद सोच क पढल्यो इस बरगा कोए ज्ञान नही । मात पीता की सेवा कर ल्यो इस बरगा कोए धाम नही॥ ज्ञान के कारण ऋिषि तपस्या करते मुझ को पडा़ पडा़ है ना ज्ञान भाई । ज्ञान के कारण साहुकार से श्री रण ले लेना ज्ञान के कारण पर्जा का पालन करके ब्याज मुल सब दे देना ले कर्जा कोए मार किसेका रहती सत्य की क्षान नही॥ चाँरो बेद सोच क पडल्यो इस बरगा कोए ज्ञान नही। मात पिता की सेवा कर ल्यो इस बरगा कोए धाम नही॥ Rai Ji Guru Maharaj Gyan