सन्त श्री छगन बाबा महाराज मोरफता में रहते थे 1975 में श्री हरिबाबा जी मोरफता गए दरबार मे बैठे की छगन बाबा ने उनके अनुयायि को भेजे की हरी बाबा बैठे उनको बुलाओ पर जब वह गए कोई नही मिला क्योंकि उनका नाम हरि था बाबा तो छगन बाबा लगे थे 2 बार बुलाने गए फिर हरी बाबा आये बोले बाबा जी मेरा नाम हरि है छगन बाबा मुस्कुराते हुये बोल आज से तू बाबा हो गया नागपुर में बहुत ज्यादा अनुयायि थे छगन बाबा बहुत सिद्ध पुरुष थे उनके साथ शेर रहते थे सन 1980 को छगन बाबा परासिया आये ओर हरि बाबा जी के यह 7 दिन रुके वहां सूफी संत श्री रहमत अली शाह मस्तान के दरबार की स्थापना की यहाँ अखंड जयोति जलाई गई जो आज भी जल रही है 25मई सन 1993 को संत श्री छगन बाबा महाराज समाधि में लीन हो गये जो तरस रोड नागपुर मे स्थिति है बाबा के चमत्कार आज भी जारी है परासिया हरिबाबा जी द्वारा