आज माइक्रोबायोलाजिस्ट की जरूरत कई स्तरों पर है. आज जिस तरह से दुनिया भर में नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म जीवाणुओं) का अब भी पता लगाया जाना बाकी है. यह काम माइक्रोबायोलॉजिस्ट बखूबी करते हैं. इसलिए उनके लिए अवसरों की कमी नहीं है.

क्‍या है माइक्रोबायोलॉजी:

यह बायोलॉजी की एक ब्रांच है जिसमें प्रोटोजोआ, ऐल्गी, बैक्टीरिया, वायरस जैसे सूक्ष्म जीवाणुओं (माइक्रोऑर्गेनिज्म) का अध्ययन किया जाता है. इसमें माइक्रोबायोलॉजिस्ट इन जीवाणुओं (माइक्रोब्स) के इंसानों, पौधों और जानवरों पर पड़ने वाले पॉजिटिव और निगेटिव इफेक्‍ट को जानने की कोशिश करते हैं. बीमारियों की वजह जानने में ये मदद करते हैं. इसके अलावा जीन थेरेपी तकनीक के जरिये वे इंसानों में होने वाले सिस्टिक फिब्रियोसिस, कैंसर जैसे दूसरे जेनेटिक डिसऑर्डर्स के बारे में भी पता लगाते हैं.

कैसे करें पढ़ाई:

देश की कई यूनिवर्सिटीज में माइक्रोबायोलॉजी में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज उपलब्ध हैं. इसके लिए स्टूडेंट्स को फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और बायोलॉजी के साथ 12वीं पास होना चाहिए. वहीं, पोस्टग्रेजुएशन करने के लिए माइक्रोबायोलॉजी या लाइफ साइंस में बैचलर्स डिग्री जरूरी है. इसके बाद वे अप्लायड माइक्रोबायोलॉजी, मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी, क्लीनिकल रिसर्च, बायोइंफॉर्मेटिक्स, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, फोरेंसिक साइंस जैसे सब्जेक्ट्स में मास्टर्स कर सकते हैं.

करियर की संभावनाएं :

माइक्रोबायलोजिस्ट के रूप में आप किसी साइंटिस्ट के साथ रिसर्च वर्क कर सकते हैं. इसके अलावा हॉस्पिटल, लेबोरेट्री, क्लीनिक, यूनिवर्सिटीज, निजी या सरकारी क्षेत्र, फार्मास्यूटिकल, डेयरी प्रोडक्ट्स, टीचिंग, बीयर मेकिंग आदि क्षेत्रों में जुड़ सकते हैं.