Sangeeta Dhoundiyal is an Indian folk singer from Uttarakhand, who has mainly sung Garhwali Kumaoni and Jaunsari songs. Sangeeta Dhoundiyal was born on 13 October 1979, currently, Sangeeta Dhoundiyal resides in Dehradun and her native village is located in Bejron of Uttarakhand Pauri Garhwal. उत्तराखंड संगीत जगत में एक नाम ऐसा है जो लोकसंगीत के प्रति गत कई वर्षों से समर्पित है जी हाँ वो हैं उत्तराखंड की लोकगायिका संगीता ढौंढियाल मधुर कंठ की धनी संगीता का स्वाभाव भी मधुर ही है,आइए जानते हैं इनके जीवन से जुडी विस्तृत जानकारी जिसे हर कोई जानना चाहेगा,इनकी जीवनी पढ़कर संगीत ही नहीं अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों को भी एक सफल जीवन की प्रेरणा मिलेगी। संगीता ढौंढ़ियाल का जीवन परिचय: संगीता ढौंढ़ियाल का जन्म 13 अक्टूबर 1979 में हुआ,वर्त्तमान में संगीता ढौंढियाल देहरादून में निवास करती हैं लेकिन इनकी जड़ें पौड़ी गढ़वाल से आज भी जुडी हैं इनका गाँव पौड़ी गढ़वाल के बैजरों स्थित ग्राम बमराडी है। और इनका मायका ग्राम थेपगाँव, नैनीडाड़ा, धुमाकोट से है तथा इन्हें बचपन से ही इन्हें संगीत में काफी दिलचस्पी रहती थी, संगीता जब महज 5 वर्ष की थी तो तब ही मंच पर पहुंच गई थी,और आज उत्तराखंड की चर्चित गायिका हैं ,गायन के साथ ही संगीता की रूचि नृत्य एवं रंगमंच में भी है और समय समय पर अपने जूनून को बरक़रार रखती हैं। संगीता के पिता श्री राम प्रसाद मधवाल ग्राम थेपगाँव, नैनीडाड़ा, धुमाकोट के निवासी हैं जो एक थिएटर कलाकार थे और आकाशवाणी में अपनी मधुर आवाज के लिए जाने जाते थे ,जिन्हे संगीता अपना पहला गुरु मानती हैं,संगीता बताती हैं कि संगीत में 2,3 दशक पहले कलाकारों को सम्मान के साथ नहीं देखा जाता था इस तथ्य के बावजूद मेरे पिता ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और मुझे इस क्षेत्र में तैयार होने में मदद की। संगीता बचपन में ही श्री जीत सिंह नेगी जी और उनके समूह आर्ट पर्वतीय कला मंच में एक बाल कलाकार के रूप में शामिल हो गयी ,जहां से उन्हे बहुत कुछ सीखने को मिला श्री जीत सिंह को संगीता अपना दूसरा गुरु मानती है।

संगीता की शिक्षा-दीक्षा: संगीता ने दिल्ली के गंधर्व विध्यालय से संगीत से स्नातक की पढ़ाई की है और फिर त्रिवेणी कला संगम में शामिल हो गई जहां उन्हे जाने-माने शास्त्रीय गायक शांति वीरा नन्द जी से सीखने का मौका मिला| और देहारादून में मुरलीधर जधुरी जी से भी संगीत सीखा है।

संगीता की संगीत यात्रा का सफर:

संगीता बताती हैं की उन्होने बहुत ही छोटी उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था इतने वर्षो की मेहनत एवं लगन व् संगीत गुरुओं से संगीत सीखने के बाद वर्ष 1997 में उन्होने एक पेशावर गायक के रूप में अपना पहला गाना गाया| इसी दौरान उन्होने टी-सीरीज (T- series) में भी ऑडिशन दिया था| जिसके बाद एल्बम ‘बांद रौतेली” जो दिनेश उनियाल जी की पहली एल्बम रही जिसमे उन्हे गीत गाने का मौका दिया| अब तक उन्होने T- series,रामा कैसेट्स , नीलम ,रामी आदि प्रॉडक्शन के लिए 600 से अधिक एल्बम्स में गढ़वाली,कुमाउनी,जौनसारी, हिमाचली, नेपाली, अवधि ,भोजपुरी और हिन्दी गीत गए है| उत्तराखंड सहित देश दुनिया में कई मंचों पर संगीता ढौंढियाल ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीता है। समाज के लिए संगीता का संदेश:

संगीता कहती है कि हमारा मकसद पूरी दुनिया में अपनी संकृति का प्रसार करना है ,और इसके लिए न केवल मैं, सभी कलाकार अपने तरीके से काम कर रहे हैं,एक समय था जब कुछ ही गायक हुआ करते थे और आज आप देखेंगे कि बाजार मेँ विविधता है लोग इसका आनंद ले रहे हैं और हमसे और बेहतर की माँग कर रहे हैं|संगीत ढौंडियाल का कहना है कि वो अपने काम की गुणवत्ता को ज्यादा महत्त्व देती हैं इसीलिए भले ही देर लगे लेकिन दर्शकों को कुछ अच्छा देखने को मिले,लीक से हटकर काम करना उन्हें पसंद है और शायद यही कारण है आज भी संगीत ढौंडियाल का फैन बेस इतना मजबूत है।संगीता को लाइव शो बेहद पसंद हैं।