यूथ रूरल इन्टरपेन्योर फाउंडेशन के संस्थापक संजय राय
हर बड़ी यात्रा की शुरुआत पहले कदम से होती है। इस पुरानी कहावत का आधुनिक उदाहरण है यूथ रूरल इन्टरपेन्योर फाउंडेशन और संजय राय की विकास गाथा। संजय राय और इनकी कहानी सीमित संसाधनों में असीमित सपनो को साकार करने, उन्हें अपनी मेहनत, लगन और सूझ-बूझ से जमीन पर उतारने तथा उसे बड़े व्यावसायिक संस्थाओं में परिणत करने की है। इतने कम समय में यूथ रूरल इन्टरपेन्योर फाउंडेशन की अभूतपूर्व सफलता का श्रेय उसकी गुणवत्ता के लिए, नयी उद्यमिता की निरंतर खोज, सांगठनिक क्षमता से कार्य कुशलता को आगे बढ़ाना और ग्राहक सेवा पर विशेष ध्यान देने को दिया जाता है। सुदूर असम में एक सामान्य किसान परिवार में जन्म लेने वाले संजय राय अपने सपनों को साकार करने के लिए 17 साल की उम्र में गुजरात आए। उनके साथ जो कुछ भी था, वह हाई स्कूल की डिग्री थी। किसी भी तरह का समर्थन न होने के बावजूद उन्हे अपनी क्षमता और परिश्रम पर भरोसा था कि उससे वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। 1997 में प्रधान मंत्री रोज़गार योजना के तहत सरकार से प्राप्त 1 लाख के ऋण के साथ अपनी व्यावसायिक यात्रा और उद्यमशीलता की शुरुआत हुई, जो आज 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं, और जिसका विश्व के सात देशों में परिचालन हो रहा है। यूथ रूरल इन्टरपेन्योर फाउंडेशन समूह में आज रसायन, हाइड्रोकार्बन, नमक, ग्रीन ईंधन, खनन, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और कई अन्य व्यावसायिक क्षेत्र में आज कार्य हो रहा है। समूह अपने वैश्विक विकास की दृष्टि से लगातार नयी नयी योजनाओं पर कार्य कर रहा है। इसमें अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद के लिए प्रतिबद्ध अपने कर्मचारियों के साथ व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बना हुआ है। आकर्षक खोज, नयी नीतियों और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन समूह का ईमानदार और सकारात्मक प्रयास है।
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