संत श्री मानाराम जी

संत श्री मानाराम जी संत मानाराम जी का जन्म राजस्थान के पाली जिले में सोजत तहसील में अटबड़ा गांव में हुआ। इनका जन्म विक्रम संवत में पंवार (सीरवी) जाती में हुआ। इनके पापा का नाम ईन्दाराम जी पंवार और छोटा भाई चौथाराम जी पंवार थे। मानाराम जी की शादी उदलियावस(बिलाड़ा तहसील, जोधपुर) के हाम्बड (सीरवी) गोत्रीय परिवार में हुआ। इनकी सिर्फ एक ही बेटी थी जिसका नाम रुकमा बाई था। माना जाता है कि मानाराम जी और उनकी धर्म पत्नी एक बार हरिद्वार गए थे। वापस आते समय कुड़की गांव में इनकी धर्म पत्नी बीमार हो गयी जिसकी वजह से उनकी धर्म पत्नी की मौत हो गयी। इसके बाद मानाराम जी ने वापस शादी नही की और साधु महात्माओं का संग कर लिया। इसके बाद संत श्री मानाराम जी ने साधु वेश धारण कर गराई नाड़ी के पास अपना आसान स्थापित कर ईश्वर भक्ति शरू कर दी। माना जाता है कि इस गराई नाड़ी के स्थान पर छोटा सा जलाशय था जिसे बड़ा जलाशय का रूप दिया जिसे गराई नाड़ी के नाम से जाना जाता है। ईश्वर भक्ति के अलावा पक्षियों को दाना देना, वृक्ष लगाना, और मार्ग साफ करने जैसे परोपकार का काम भी संत मानाराम जी किया करते थे। मानाराम जी दारू-मांस और नशीली वस्तुओ का निषेध करते थे। माना जाता है कि संत श्री मानाराम जी के कपड़ो के रूप में एक अंगरकी(मारवाड़ी वेशभूषा में पुरुषों द्वारा पछन जाने वाली पोशाक) और टोपा(सर पर पहना जाने वाला कपड़ा) आज भी उनके दत्तक पुत्र(भाई का बेटा) जैताराम जी पंवार के वंशजों के यहाँ सुरक्षित अटबड़ा गांव में मौजूद है। जिसकी हमेशा पूजा की जाती है। संत श्री मानाराम जी का देहांत विक्रम संवत के माघ सुदि ग्यारस के दिन हुआ।

-सीरवी प्रकाश पंवार Copyright©©