हज़रत हाजी हरमैन शाह रहमतुल्लाहि ताला अलैहि की तारीख अज सय्यद शादाब अहमद क़ादरी रजवी _________________________________ हज़रत हरमैन शाह रहमतुल्लाहि ताला अलैहि तकरीबन 15वीं सदी के वलीअल्लाह हुए है ये इस दौर में ज़िला बिजनौर के गांव भानीपुर में तशरीफ फरमा हुए आप ने सात हज पैदल किए इसके बाद आपका नाम हाजी हरमैन शाह हो गया आप की तारीख के बारे में ज़्यादा कुछ जानकारी तो नहीं मिलती लेकिन आपके बारे में ये मशहूर है कि इस गांव में बल्कि आस पास के गांव में अगर कोई जानवर बीमार पड़ता है या कोई नया जानवर आता है तो उसके दूध से निकले घी का चिराग आपकी मजार मुबारक पर जलता है तो बीमार जानवर को शिफा हासिल होती है और इसी के साथ अगर किसी नए जानवर के दूध का चिराग वहां ना जले तो दूध में कीड़े पड़ जाते है लेकिन चिराग जलाने के कुछ वक़्त बाद ख़तम हो जाते है आपका मजार ए मुबारक भानिपुर ज़िला बिजनौर में है आपके हजारों अकीदतमंद आपकी मजार मुबारक पर आते है और अपनी हाजत रवाई की दरख्वास्त करते है और आपका फजलो करम उन पर बना रहता है हज़रत हरमैन शाह रहमतुल्लाहि ताला अलैहि के आल औलाद बिजनौर के गांव गांगू नंगला में है आपकी आल औलाद की तारीख बहुत लंबी है आपकी वफात सन 1696 में हुई आपकी मजार पर हर जुमेरात को अकीदतमदों का जमघट लगा रहता है _________________________________ नोट:तारीख लिखने वाले सय्यद शादाब अहमद क़ादरी रजवी इनकी आल औलाद में से हैं और दरगाह आलिया के सज्जादा नशीन हैं इस वक़्त ज़िला मेरठ में रिहाइश पज़ीर हैं!