श्रीअजयजी को बिहार के भागलपुर की माटी जन्म दिया। वहीं जन्म हुआ, वहीं खेले, वहीं बड़े हुए, अध्ययन किया और वहीं संस्कार लेकर आज व्यासपीठ पर आसीन होकर भागलपुर को गौरवान्वित कर रहे हैं। आपकी जन्मभूमि बिहार है, कर्मभूमि उड़ीसा रही तथा धर्मभूमि ब्रजभूमि है। उड़ीसा में मनोरंजन जगत में कला की सेवा करते हुए जन-जन के लोकप्रिय होते हुए भी श्रीमद्भागवत के अध्ययन के साथ वेद-वेदान्त तथा अनेकों धर्मग्रन्थों का अध्ययन आपश्री करते रहे। सन् 2010 में उड़ीसा के एक प्राइवेट टीवी चैनल के सर्वोच्च पद ‘निदेशक’ के रुप में मीडिया की सेवा करने के बाद आप पुनः भागवतीय सेवा में सक्रिय हो गये। बिहार के चिर-परिचित कवि-साहित्यकार पं॰ श्रीउमेशजी के आप सबसे छोटे सुपुत्र हैं। आपके चाचाश्री संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान पं॰ श्रीभुवनेशजी भी श्रीमद् भागवत् कथा के मर्मज्ञ विद्वान थे। संगीत, साहित्य और कला आपके परिवार की परम्परा है और भागवत् तथा रामायण प्राण हैं। इनकी कथा में संगीत की प्रधानता तो नहीं होती तथापि इनकी रोचक शैली सम्पूर्ण कथा के सातों दिवसों में सभी को सत्य एवं ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित करती है।