रचना     महात्मा की देश भक्तिशब्दों की आत्मा पत्रिका परिवार सभी से आह्वान करती है कि जो ईद पर्व पर बकरे को काटकर जीव हत्या की जाती है यह एक अपराध है।इसका सभी विश्व बंधुत्व राज्य सरकार, भारत सरकार, और अन्य देश की सरकारों को पाबंदी लगानी चाहिए और इस पर्व को सद्भावना ‌शातिं और मानवता पर्व के रूप मनाना चाहिए। हम सभी प्राणी उस परमपिता परमात्मा की संतान है हमें किसी को भी कष्ट नहीं देना चाहिए।यदि हम अकारण ही किसी को कष्ट पहूंचाता है तो हम उस खुदा को ही कष्ट दे रहे हैं जिसका अन्जाम बड़ा भंयकर और भयानक होता है। यदि हम धरा पर सभी प्राणियों से प्रेम करते हैं तो वास्तव में हम अपने में ही खुदा , अल्लाताला भगवान ईश्वर सद्गुरु आदि आत्म स्वरूप में ही ईश्वर को प्रकट कर सकते हैं। रचना ईद रचयिता सुशीला रोहिला ईद में ई है इनर्जी, ई गया तो रह गया शव अद में सभी अपनी रहे अकारण ना ले कोई किसी का प्राण।। अद से गुजरना है तो बुरी आदतों का हो त्याग, नहीं तो चींटी से भी जा सकता है किसी का प्राण, बकरे की मैं- मैं सिखाती है अद्भुत पाठ मैं मैं जब भी किसी ने की, मैं सहित कट गया शीश।। सुशीला रोहिला का कहना,विश्व बंधुत्व को है जागना , ईद पर्व को यूं मनाएं हर जीव का करें संरक्षण,प्रकृति भी फले फूले, पौधों की हो तादाद, पशुओं को मिले भरपूर घास, बकरे का ना हो बलि, मुस्लिम बंधुत्व बंद करें यह कुरीति।।

लेखिका    सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा

भक्ति की शक्ति में छुपी है,शांति दूत की कर्म कहानी,

देशप्रेम में डूबा था डूबा हर हिन्दुस्तानी।

बापू गाँधी ले आए अंग्रेजों से आजादी,

२ अक्तूबर १८६९ को ही जन्मे थे बापू गाँधी।

स्वतंत्रता का नाद गुंजा नील गगन,

क्रांति का ताड़ण्व हर शहर नगर-नगर।

पखों में उड़ान भरने की है चाहत,

मुक्त कंठ से गीत स्वतंत्रता का गाने की चाहत।

तन पर न था हजामा,पहने एक लंगोटी और माला,

साउथ अफ्रीका से खड़ा एक महात्मा दीवाना।

आजादी की मशाल को जलाए,क्रांति का है दीवाना,

अध्यात्म की शक्ति से युक्ति शांति का भर लिया खजाना।

सत्य अहिंसा शांति के शस्त्र का लिया सहारा,

छक्के छूटे दुश्मन के अंग्रेज ठहर ना पाया।

१५ अगस्त १९४७  की लालिमा ने नव उदित रवि उगाया,

भारतमाता को मुक्त करवाकर उसने फर्ज अपनाा  निभाया॥




रचना            जीवन पूँजी शिक्षक       रचयिता          सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा

  आओ बच्चों तुम्हें सुनाए    गुरु महिमा अपरम्पार है    गु वर्ण तिमिर दिखलाता   रु का अर्थ परम प्रकाश है   वेद शास्त्र गीता रामायण   बताएँ गुरु की यह पहचान है

    गुरु आज्ञा में राज छिपा है     सत्य अहिंसा शांति बसती     सतनाम का ज्ञान कराएँ     शिष्य जो सेवार्थी बन जाए     तीन लोक की संपदा पाए     सुख शांति का भंडार है


    बच्चे- बूढ़े-जवान ,निर्बल    सबल, दीन- हीन कुष्ठी    कामिल, सुक्ष्म हो स्थूल    गज ग्राह चींटी चण्डाल    गुरु सीख सहज- सरल    आत्मतत्व सबका है एक

    गुरु की सद्शिक्षा का चित्त    में भरो खजाना ,हिन्दू -मुस्लिम    सिख-ईसाई का ना हो झगड़ा    साक्षरता फैले तत्वज्ञान की    निरक्षरता मिट जाए दूराचार    गुरु ज्ञान का यही उपदेश


    पांच सितंबर सन 1888     का था दिन सर्वपल्ली के     आगंन में जन्मा राधाकृष्ण     शिक्षा में शिक्षक की मिशाल     धर्म -संस्कृति में देहावसान     बाद मिला टेम्पलटन पुरस्कार

     जीवन का सारथी शिक्षक      शिक्षा की करता नींव हरी     सर्वपल्ली डाॅ राधाकृष्ण में     प्रखर आभा मिला राष्ट्र पति   भारतरत्न शिक्षक लेखक पद    शिक्षक दिवस मनाए सब मेरे    जन्मदिवस का यह है  रूप