गुरु वंदना। गुरु चरण कमल बलिहारी रे मेरे मन की दुविधा थारी रे भवसागर में नीर अपारा डूब रहा मिलत किनारा गुरु पल में लिया उबारी रे गुरु चरण कमल बलिहारी रे काम क्रोध मद लोभ लुटेरे जनम जनम के हैं बैरी तेरे गुरु ने दिला मारी रे गुरु चरण कमल बलिहारी रे भेदभाव दूर कराएं पूरा एक दर्शाए घट घट ज्योति मारी रे गुरु चरण कमल बलिहारी रे गुरुदेव बताएं सब भक्तन के अंदर मनुष्य श्री गुरु चरण कमल बलिहारी रे