Kaya यानी शरीर,स्थूल मांस मजा यथार्थ चारों वर्ण इसी शरीर का अंश है यह समझदार अंश कायस्थ ही चारों वर्णों से मिलकर बना है कायस्थ जैसा की इसके नाम में ही निहित है और क्योंकि आपके कर्म आपके चित में गुप्त रहते हैं जो आपके अच्छे बुरे कर्मों का रिकॉर्ड होता है इसीलिए उसके स्वामी को चित्रगुप्त कहा जाता है जो इस अंश के ईश्वर है और आपका मन ही अच्छे बुरे कर्मों का फल देता है जो स्वयं आप अनुभव कर सकते हैं अपने कर्मों का लेखा-जोखा पर विचार करके

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