♤°•गुरु ही सर्वस्व मेरा•°♤
editगुरु बिन पुतला है मानव, ये जीवन अधूरा है, वो सच्चा मार्गदर्शक है, गुरु बिन ज्ञान अधूरा है। हवाएँ लोरियां गायें,सुनाएं गीत मनभावन, गुरु का मिट जाए अस्तित्व, तो संसार अधूरा है।
तू ही तो ज्ञान देता है, तू ही सर्वस्व मेरा है, तूने दुनिया है समझाई, तू ही भगवान मेरा है। तेरे हर शब्द, हृदय में, समा करके, अक्षर ज्ञान देकर के, तू ही इंसान बनाता है।
तू ही हर लक्ष्य बताकर के, जीवन पूर्ण करता है, तन-मन प्राण समर्पित है, मेरा जीवन भी तेरा है। तेरे उपकारों को कैसे, शब्दों में, समझाएँ, मेरा सौभाग्य समझू या, इसे वरदान समझू मैं।
कोई शिक्षक बोलता है, कोई गुरुदेव कहता है, वो दुनिया से उभरकर के, महा-मानव बनता है। 'करिश़्मा' करता है ऐसा, दुनिया है, समझाता, अधूरे जीवन को अपने, गुरु संपूर्ण बनाता है।
SPK Sachin Lodhi Narsinghpur(M.P.)- 487001
🔱गजानन चले आओ🔱
editबदरी आज बरसी, भादों की काली रात में, गजानन चले आओ,तुम मूसक जी के साथ में।
मूसक पर सवार हैं, संग रिद्धि-सिद्धि साथ हैं, गणपत जी पधारो, बस तुमरी मुझको आस है। कलशा भी सजाओ, संग रोरी,चंदन साथ में। बदरी आज बरसी…….……..!
विघ्न हरो हे देवा मेरे, भक्त तुझी को पुकारे, अर्पित हैं मावा के लडुअन, खाओ देवा सारे। सिंहासन सजाओ, संग हीरा, माणिक साथ में। बदरी आज बरसी……………!
मेघा आज गगन से बरसे, शांत करो प्रभु देवा, अरज करे जग सारा भगवन,सुनो विनय हे देवा। दूर्वा भी चढ़ाओ, संग गंगा जल के साथ में। बदरी आज बरसी……….…..!
आयो आज चौथ का पर्व, गणपत जी विराजो, मंगलमूरत गौरी-नंदन, मूसक संग तुम साजो। शुभ मंगल बरसाओ, शिव शंकर जी के साथ में। बदरी आज बरसी.…………..!
बदरी आज बरसी, भादों की काली रात में, गजानन चले आओ,तुम मूसक जी के साथ में।