जीवन परिचय

Poem on desh bhakti

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    देश भक्ति कविता

01 जाने कितने झूले थे फांसी पर,

     कितनो ने गोलियां खाई थी।
     क्यो झूठ बोलते हो साहब,
    की चरखा चलाने से आज़ादी आयी थी

02 चरखा हरदम खामोश रहा,

    और अंत देश को बांट दिया।
    लाखो बेघर लाखो मर गए,
    जब गांधी ने बंदर बाँट किया।।

03 जिन्ना कर हिस्से पाक आया,

    और नेहरू को हिंदुस्तान मिला।
    जो जान लूटा गए भारत पर,
    उन्हें ढंग का न सम्मान मिला

04 इन्ही सियासी लोगो ने,

   शेखर को भी आतंकी बतलाया था।
      रोया अल्फ्रेड पार्क था उस दिन,
     एक एक पत्ता थर्राया था।।

05 जो देश के लिए जिये मरे, और फांसी के फंदे झूल गए।

   हमे कजरे गजरे तो याद रहे, पर अमर पुरोधा भूल गए।।
                               --------विशाल पाण्डेय
Vishu2000p 18:00, 9 August 2018 (UTC)