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The Inscription needs editing.--Malaiya (talk) 01:08, 15 October 2008 (UTC)
Inscription box
editI moved the inscription box here. It doesn't really fit in an encyclopaedia article. I included a link to the website with the text instead. --Apoc2400 (talk) 12:28, 13 November 2008 (UTC)
सिद्धेभ्यः श्री श्रीमतरंग श्री स्याद्वाद मोघ लाछनम्। जीया त्रैलोक्य नाथ शासनम् जिन शासनम् स्वस्ति सम्वत् 1525 वर्षे चैत्र सुदी 15 मूलसंघे सरस्वती गच्छे बलाकार गणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये आम्नाय भट्टारक श्री प्रभाचंद्र देवा ततो पट्टे भट्टारक श्री पद्मनंदी देवा भट्टारक श्रुतचंद देवा। तत्पट्टे भट्टारक श्री जिनचंद्र यतीश्वरा तत्पट्टे भट्टारक श्री सिंहकीर्ति यतीश्वरा तेषाम् उपदेशात् श्री गोपाचल महादुर्गे श्री तोमरान्वये महाराजाधिराज श्री कीर्तिसिंह विजयराजे। ...सिद्ध प्रतिष्ठा श्री इक्ष्वाकु वंशोन्दवा गोलारोड ति मद्ये संघातिपति पम ॥श्री॥ ...सुहाग श्री तत्पुत्रा माणिक सं. अश्वपति सं. कुषराज सं. जो जि॥ सं. माणिक भार्या लखण श्री तत्पुत्रा सं. वन हरसिंघा। पडरू। कुमुदचंद्र भार्या कुला द्वितीय विजय श्री हरिसिंघ भार्या रामश्री द्विः जयति श्री तृ शिव श्री॥ पडरू भार्या भागीरथी। कुमुदचन्द्र भार्या शोनन श्री पुत्र॥ अश्वपति... भार्या श्री... पुत्र माधव भार्या लाड़म श्री पुत्र उद्धरण भार्या माणिक्य श्री द्वितीय... पुत्र देवचंद्र आर्या खिमश्री॥ कुशराज भार्या लोहव द्वितीय भार्या वीरा पुत्र बुद्धसेन पुत्री हरमति जो जि समायहि श्री पुत्र... कुंवराय॥ मण्डे भार्या रतन श्री॥ सजन श्री मंगो... ये तषाम मध्ये संघादिपतियम्। भूपतयः बंधु निज पुत्र पौत्रो श्री पार्श्वनाथ तीर्थश्वरम् नित्यं पूज्याम् प्रणमति श्री शांति रस्तु शिवम् सुख नित्य आरोग्य भवतु... सिद्धरस्तु शत्रु निवारन कुल गोत्र वंशादष्टु इति श्री राजा श्रावक प्रजासुखी नो भवन्तु धर्मोवृद्धिताम् श्री॥ || |
A Gwalior Fort Inscription Samvat 1525 [1] |
References
- ^ http://hindi.webdunia.com/religion/religion/jainism/0708/11/1070811035_1.htm एक पत्थर की बावड़ी (दक्षिण-पूर्व समूह)